हरियाणा: उच्चतर शिक्षा विभाग का नया कारनामा सामने आया है। तीन साल पहले जिन कालेजों में मुफ्त सैनेटरी नैपकिन मशीनें लगाई गई थीं, अब उन्हें बिल भेज दिए गए हैं। बिल भी किसी दूसरी कंपनी की तरफ से भेजकर पैसा मांगा जा रहा है। निदेशालय के संज्ञान में यह मामला आने के बाद निदेशक ने रिपोर्ट तलब कर ली है। इस संबंध में कई कालेज प्रबंधकों ने निदेशक को पत्र लिखकर भी अवगत कराया है।
हरियाणा में 175 कालेज हैं लेकिन पायलट प्रोजेक्ट चलाने के लिए जून 2019 में उच्चतर शिक्षा विभाग ने कोलार्ज इंफोटैक इंडिया से जीरो बिलिंग पर कालेजों के लिए सेनेटरी नैपकिन इंसिनेटर मशीनें ली थी। विभाग ने जून-जुलाई 2019 में प्रदेश के महज 24 कॉलेजों में 96 मशीनें भिजवाई थीं। प्रत्येक कालेज को चार मशीनें अलाट की गईं। करीब चार साल बाद सितंबर माह के दौरान विभाग ने संबंधित कॉलेजों को पत्र जारी करके प्रति मशीन 32 हजार 438 रुपये की अदायगी के निर्देश जारी कर दिए हैं। कुल 96 मशीनों की एवज में 31.14 लाख अदायगी के लिए कहा गया है। कॉलेजों को इन मशीनों की अदायगी कंप्यूटर फंड या राधा कृष्ण फंड से करने के लिए बोला गया है।
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हरियाणा राजकीय महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अमित चौधरी के अनुसार तीन साल पहले 2019 में दान की गई मशीनों के बिलों का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहा है। विडंबना यह है कि कई कॉलेजों को बार-बार अनुरोध करने पर भी बिजली बिल भुगतान की ग्रांट पर जवाब तक नहीं दिया गया। शिक्षक संघ इस मामले में जांच और जिम्मेदारी तय करने की मांग करता है।
उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के महानिदेशक राजीव रतन के अनुसार सैनेटरी नैपकिन पैड मशीनों की खरीद से जुड़ा मामला जानकारी में नहीं है। वर्ष 2019 का रिकार्ड मांगा गया है। अगर कहीं कोई गड़बड़ के संकेत मिलते हैं तो इसकी जांच करवाई जाएगी।
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