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भगवान हनुमान के पंचमुखी अवतार की महिमा व महत्व

hanuman ji

हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान को समर्पित किया गया। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ मास को काफी महत्व दिया गया है। शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि ज्येष्ठ मास में भगवान हनुमान की पूजा की अराधना करने से बजरंगबली अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उन्हें शिक्षा व करियर में लाभ मिलता है। ये ही कारण है कि ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगलवार को बड़े मंगल बोला जाता है। बजरंगबली अपने भक्तों के सारे संकटों को हर लेते हैं जिस कारण उन्हें संकटमोचक भी कहा जाता है। ज्येष्ठ मास में प्रभु भगवान हनुमान का स्मर्ण अवश्य करना चाहिए। हनुमान जी के पंचमुखी अवतार को उनका सबसे शक्तिशाली और पूजनीय अवतार माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजरंगबली ने पंचमुखी अवतार क्यों लिया था? आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों भगवान हनुमान ने पंचमुखी अवतार लिया था और क्या है इसकी महत्ता।

अपने भक्तों के संकट हरने वाले संकटमोचक भगवान हनुमान स्वयं भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं और सदैव उनके नाम का स्मरण करते रहते हैं, लेकिन एक बार भगवान श्रीराम के भी संकट में पड़ जाने पर भगवान हनुमान ने पंचमुखी अवतार लेकर उन्हे भी संकट से उबारा था। रामायण के प्रसंग के अनुरूप, लंका युद्ध के समय जब रावण के भाई अहिरावण ने अपनी मायवी शक्ति से स्वयं भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्छित कर पाताललोक लेकर चला गया था। जहां अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दिए जला रखे थे। उसे वरदान था कि जब तक कोई इन पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझायेगा, अहिरावण का वध नहीं होगा। अहिरावण की इसी माया को सामाप्त करने के लिए हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपक को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया। इसके फलस्वरूप भगवान राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हुए।

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पंचमुखी हनुमान के पांचों मुखों का महत्व पंचमुखी भगवान हनुमान के पांचों मुखों का अलग-अलग महत्व है। वानर मुख- यह मुख पूर्व दिशा में है तथा दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है। गरुड़ मुख- यह मुख पश्चिम दिशा में है तथा जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाशक है। वराह मुख- यह मुख उत्तर दिशा में है तथा लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति दायक है। नृसिंह मुख- यह दक्षिण दिशा में है, यह डर, तनाव व मुश्किलें दूर करता है। अश्व मुख- यह मुख आकाश की दिशा में है एवं मनोकामनाएं पूरी करता है।