इंदौर: मध्य प्रदेश के शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त (Beggary free) बनाने की मुहिम को तेज करते हुए जिला मजिस्ट्रेट आशीष सिंह ने सख्त कदम उठाते हुए घोषणा की है कि 1 जनवरी से शहर में भीख मांगने वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी। दिसंबर में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को भीख (Begging) मांगने के दुष्परिणामों से अवगत कराने के बाद अब प्रशासन इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपना रहा है।
Begging पर क्या कहा जिला मजिस्ट्रेट ने?
जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि हमारे पास पहले से ही भीख मांगने पर रोक लगाने का आदेश है। अब हम इस आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने आगे कहा, “मैं शहरवासियों से अपील करता हूं कि वे भीख देकर इस बुराई को बढ़ावा न दें। भीख मांगना एक सामाजिक बुराई है और इससे समाज को नुकसान पहुंचता है।
Begging पर पिछले कुछ महीनों में की गई कार्रवाई
पिछले कुछ महीनों में जिला प्रशासन ने भीख मांगने के खिलाफ कई कार्रवाई की है। कई भीख मांगने वाले गिरोहों का भंडाफोड़ किया गया है और कई लोगों को पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के 10 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है और इस प्रोजेक्ट में शामिल शहरों में से एक इंदौर भी है।
Beggars को काम दिलाने में मदद
मध्य प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि सरकार के इस प्रयास में मदद के लिए इंदौर की एक संस्था आगे आई है। यह संस्था उन्हें छह महीने तक आश्रय देगी और उनके लिए काम खोजने का प्रयास करेगी। हम लोगों को भीख मांगने से मुक्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। यह एक सराहनीय पहल है जो इंदौर को वास्तव में भिखारी मुक्त शहर बनाने में मदद कर सकती है।
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लेकिन इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग प्रशासन का कितना सहयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर लोग भिखारियों को पैसे देना बंद नहीं करेंगे तो यह योजना पूरी नहीं हो पाएगी। इस तरह से यह सफल नहीं हो पाएगी। साथ ही यह भी सुनना ज़रूरी है कि बचाए जा रहे लोगों के पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए। उन्हें रोज़गार के अवसर और रहने की उचित सुविधाएँ मिलें।
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