जैसलमेरः थार के मरुस्थल में भारत-पाकिस्तान सीमा पर विषम भौगोलिक परिस्थितियों में ड्यूटी करने वाले जवान अब हिमालय के मीठे तथा फिल्टर हुए पानी से हलक तर कर सकेंगे। सरहद पर सीमा सुरक्षा बल की 29 बीओपी पर अप्रैल महीने के पहले हफ्ते से इंदिरा गांधी नहर से पाइप लाइन के जरिये पानी मिलना शुरू हो जाएगा। भारत सरकार ने 28.30 करोड़ रुपये लगाकर इस योजना पर काम शुरू किया था। इस योजना के अगले चरण में बाकी बची चौकियों तक भी पाइप लाइन बिछाई जाएगी।
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देश की सीमा पर तपते रेगिस्तान पर तैनात जवानों को गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। हालांकि बीएसएफ की ओर से लगातार बीओपी तक टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाया जाता है। अब पाइप लाइन के माध्यम से सभी बीओपी को नहर से जोड़ने के बाद पानी की समस्या खत्म ही हो जाएगी। जलदाय विभाग जैसलमेर के जिला खंड अधिशासी अभियंता छतराराम माली ने बताया कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर दुर्गम क्षेत्रों में पानी की करीब 185 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने का कठिन काम करीब दो साल की कड़ी मेहनत के बाद पूरा किया गया। इंदिरा गांधी नहर से सीधी पाइप लाइन भारत-पाकिस्तान के सरहदी क्षेत्र की दुर्गम सीमा चौकियों तक पहुंच गई है।
बीएसएफ सूत्रों के अनुसार देश की सीमा पर तैनात जवानों को जल के लिए विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। थार मरुस्थल के इस इलाके में दूर-दराज तक किसी इंसान का नामो निशान तक नहीं है और जवान सीमित संसाधनों के बीच देश की सेवा में जुटे हुए हैं। उन्हें पीने के पानी के लिए भी खासी मशक्कत करनी पड़ती है। जैसलमेर से लगती लंबी सीमा पर बीओपी पर तैनात जवानों के लिए फिलहाल वाटर टैंकर के माध्यम से पीने के पानी की सप्लाई की जा रही है। हालांकि कुछ बीओपी में ट्यूबवैल के माध्यम से भी पानी निकाला जा रहा है लेकिन उसमें गुणवत्ता का अभाव है।
जानकारी के अनुसार जैसलमेर से लगती 472 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 122 सीमा चौकियां हैं। इस पर सीमा सुरक्षा बल के दो सीमांत मुख्यालय (नॉर्थ व साउथ) के अधीन आने वाली बटालियनें मॉनिटरिंग करती है। अब जैसलमेर की सभी सीमा चौकियों पर नहर का पानी पहुंचाने की कवायद की जा रही है। 29 बीओपी व दो एडम बेस तक नहर का पानी पहुंचाने का काम पूरा हो गया है। जल्द ही मीठे पानी की सप्लाई शुरू की जा रही है।
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