नई दिल्ली: भारत ने मिसाइल परीक्षणों की श्रंखला में सोमवार को स्वदेशी रूप से विकसित नौसेना वर्जन की वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइलके दो सफल परीक्षण करके एयरोस्पेस की दुनिया में एक और कामयाबी हासिल की। मिसाइल लॉन्च करने से पहले बालासोर जिले के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के पास करीब ढाई किमी. का इलाका खाली करवाकर चार गांवों के लगभग 8,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने इस सफलता पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
आज हुए प्रक्षेपण की निगरानी डीआरडीएल, आरसीआई, हैदराबाद और आरएंडडी इंजीनियर्स, पुणे जैसे सिस्टम के डिजाइन और विकास में शामिल विभिन्न डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने की।परीक्षण के दौरान उड़ान मार्ग और वाहन के प्रदर्शन मापदंडों की निगरानी उड़ान डेटा का उपयोग करके की गई थी। परीक्षण के लिए विभिन्न रेंज उपकरणों रडार, ईओटीएस और टेलीमेट्री सिस्टम को आईटीआर, चांदीपुर ने तैनात किया था। वर्तमान परीक्षणों ने हथियार प्रणाली की प्रभावशीलता को साबित कर दिया है और भारतीय नौसेना के जहाजों पर तैनाती से पहले कुछ और परीक्षण किए जाएंगे। एक बार तैनात होने के बाद वीएल-एसआरएसएएम प्रणाली भारतीय नौसेना के लिए एक बहु गुणक साबित होगी।
डीआरडीओ सूत्रों के अनुसार एस्ट्रा मिसाइल के आधार पर स्वदेशी रूप से विकसित वीएल-एसआरएसएएम उन्नत वायु रक्षा प्रणाली है जो विभिन्न श्रेणियों से कई हवाई खतरों के लिए अकेले ही समाधान प्रदान करती है।वीएल-एसआरएसएएम को वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए अलग-अलग तरीके से विकसित किया गया है। शॉर्ट रेंज की ट्रक माउंटेड कनस्तर आधारित सरफेस टू एयर मिसाइल से वायु सेना को उच्च गतिशीलता मिलेगी। नौसेना को अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों के लिए इस मिसाइल के प्रत्येक वर्टिकल लॉन्च यूनिट (वीएलयू) में सुपरसोनिक प्रोजेक्टाइल संलग्न करने के लिए 8 तरह के संशोधन किये गए हैं। नौसेना के लिए डिज़ाइन की गई यह मिसाइल प्रणाली समुद्र-स्किमिंग लक्ष्यों सहित निकट सीमाओं पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए है।
वीएल-एसआरएसएएम त्वरित प्रतिक्रिया वाली रक्षा प्रणाली है, जिसका उपयोग वायुसेना, यूएवी जैसे सुपरसोनिक समुद्री स्कीमिंग लक्ष्यों के खिलाफ किया जाता है। एस्ट्रा मिसाइल एमके-1 पर आधारित इसकी रेंज फिलहाल 40 किमी है लेकिन भविष्य में एस्ट्रा एमके-2 की तरह इसकी मारक क्षमता 80 किमी. तक बढ़ाई जाएगी। एयरफोर्स वेरिएंट के लिए वीएल-एसआरएसएएम में ट्रक माउंटेड कमांड और कंट्रोल यूनिट शामिल होगा जिसमें एक रडार सेंसर और 4-6 मिसाइल फायरिंग यूनिट शामिल हैं। इसी तरह नौसेना के वेरिएंट को युद्धपोत पर रडार सिस्टम के साथ एकीकृत किया जाएगा ताकि दुश्मन का पता लगाया जा सके। वीएल-एसआरएसएएम को फ्रंटलाइन युद्धपोतों पर इजरायल की बराक-1 प्वाइंट डिफेंस इंटरसेप्टर मिसाइलों की जगह बदला जाना है, जिसे भारत ने त्रिशूल एसआरएसएएम समाप्त करने के बाद खरीदे थे।