उज्जैनः धार्मिक नगरी उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में अग्निकांड के बावजूद रविवार को सुबह से देर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। होली के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दर्शन किये और पूजा-अर्चना कर लाभ प्राप्त किया। अब मंगलवार 26 मार्च से मंदिर में दर्शन और आरती व्यवस्था में बदलाव होगा।
सामान्य दिनों की तरह हुई पूजा अर्चना
दरअसल, सोमवार सुबह महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के समय की जाने वाली कपूर आरती के दौरान गर्भगृह में आग लगने से पुजारी समेत 14 लोग झुलस गए। इनमें से नौ लोगों को इंदौर में भर्ती कराया गया है, जबकि दो घायलों का इलाज उज्जैन के जिला अस्पताल में चल रहा है। जबकि तीन को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी देकर घर भेज दिया गया है। इस अग्निकांड का मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं पर कोई असर नहीं पड़ा। हादसे के बाद मंदिर में फिर से सामान्य दिनों की तरह पूजा-दर्शन शुरू हो गया। देर शाम तक मंदिर में दर्शनार्थियों का आना जारी रहा, जिन्होंने होली के विशेष त्योहार पर अपने इष्ट देवता के दर्शन किए।
ठंडे जल से शुरू हुआ स्नान
सुबह से लेकर देर शाम तक हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे, जिससे हर दिन की तरह मंदिर में जय श्री महाकाल की गूंज गूंज उठी। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि मंगलवार 26 मार्च से मंदिर में बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराना शुरू कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि होली का त्योहार ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत माना जाता है। इस दिन से शरद पूर्णिमा तक भगवान ठंडे जल से स्नान करते हैं। इन छह महीनों के दौरान प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरतियों का समय भी मौसम के अनुसार बदलता रहता है। इस समय भगवान की सेवा-पूजा शीत ऋतु के अनुसार ही की जा रही थी। लेकिन अब अगले छह महीने तक गर्मी के हिसाब से दिनचर्या बदलेगी, जिसमें अब बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाएगा।
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महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि 26 मार्च 2024 से परंपरा के अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से आश्विन पूर्णिमा तक ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की आरती के समय में परिवर्तन होगा।