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किसान ने मछली पालन की ओर किया रूझान, लाखों की आमदनी से बदली किस्मत

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भागलपुरः जिले के गोराडीह प्रखंड स्थित खरामा गांव के किसान अभय सिंह मछली पालन कर अच्छी खासी आमदनी कर रहे हैं। अभय सिंह ने खरामा गांव में 3 साल पूर्व पूर्व सरकारी योजना से 5 तालाब खुदवाया। आज उन्हें एक तालाब से साल में ढाई से तीन लाख की आमदनी हो रही है। हालांकि मछली पालन में मेहनत ज्यादा है। तालाब का रखरखाव और तालाब में पानी बरकरार रखना एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। अभय सिंह बताते हैं कि खेती किसानी में घटती आमदनी को लेकर उनका रुझान मछली पालन की ओर गया। आज वह मछली पालन कर काफी खुश भी हैं। उल्लेखनीय है कि भागलपुर जिले में किसान खेती के लिए पूरी तरह से मानसून पर निर्भर हैं।

अक्सर मानसून दगा दे जाता है। जिस वजह से किसानों को लागत के हिसाब से फसलों से आमदनी नहीं हो पाती है। इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए न तो नहर है और न ही ट्यूबवेल। इक्का-दुक्का ज्यादा जमीन वाले किसान बोरिंग के माध्यम से सिंचाई कर थोड़ा बहुत फसल उत्पादित कर लेते हैं। लेकिन अधिकतर किसानों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। यही कारण है कि अब किसान खेती के वैकल्पिक उपाय को अपनाने लगे हैं। जिले के किसानों ने अब मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, आम के बगीचे और व्यवसायिक पेड़ पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। मछली पालक अभय सिंह ने बताया कि मूलतः खेती में घटते आमदनी को लेकर उन्होंने मछली पालन का काम शुरू किया है। आस-पास के गांव में कई किसान तालाब खुदवा कर मछली पालन कर रहे हैं। वैसे किसानों से प्रेरित होकर अभय सिंह ने पांच तालाब खुदवाये है।

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अभय सिंह बताते हैं कि एक तालाब में खुदाई से लेकर मछली पालन तक साल में 400000 की राशि खर्च होती है। लेकिन इस तालाब से प्रत्येक वर्ष ढाई से तीन लाख की आमदनी उन्हें हो रही है। अभय सिंह बताते हैं कि रोहु और कतला मछली को बढ़ने में 1 वर्ष से अधिक का समय लग जाता है। इसलिए उन्होंने ज्यादा सीलन मछली को प्राथमिकता दी है। सीलन मछली 6 महीने में 1 किलो से डेढ़ किलो के बीच हो जाता है। मछली का बीज बंगाल से मंगाया जाता है। बंगाल के मछली का बीज अच्छा होता है और इसके पालन से अच्छी आमदनी भी होती है। अभय सिंह कहते हैं कि मछली के पालन में आमदनी खेती की अपेक्षा बहुत अच्छी होती है। इसलिए वे इस काम को करके काफी खुशहाल हैं।

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