Friday, November 1, 2024
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बढ़ा जुर्माना भी कम नहीं कर पा रहा प्रेशर हॉर्न का शौक, सड़कों पर बढ़ा प्रेशर

लखनऊः राजधानी में दो पहिया और चार पहिया वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न और गाड़ियों के शोर ने ध्वनि प्रदूषण को बेतहाशा बढ़ा दिया है। वर्ष 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर प्रेशर हॉर्न पर जुर्माने की राशि 10 हजार रूपए किए जाने के बाद भी ध्वनि प्रदूषण पर लगाम नहीं लग पा रही है। मौजूदा समय में वाहनों में प्रेशर हॉर्न और मल्टी टोन हॉर्न के चलन ने चहुंओर शोर बढ़ा दिया है।

ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते खतरे से बेखबर लोग अपने शौक और रसूख के आगे सब कुछ भूले हुए हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो प्रेशर हॉर्न और मल्टी टोन हॉर्न का चलन बड़े वाहनों में तेजी से बढ़ा है। बड़े वाहन जैसे बस, ट्रक व रसूखदार लोग भी अपने वाहनों में मल्टी टोन हॉर्न का प्रयोग कर रहे हैं। जिससे सड़कों पर ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रेशर हॉर्न और मल्टी टोन हॉर्न लगाए वाहनों पर कार्रवाई होने के बावजूद इस चलन में कमी नहीं आ रही है। जानकारों की मानें तो शहरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक हो चुका है। इसके बाद भी लोग ध्वनि प्रदूषण को लेकर लापरवाह बने हुए हैं। जानकारों के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण के लिए भी सबसे अधिक जिम्मेदार वाहन ही हैं। चाहे वह वाहनों में लगे प्रेशर और मल्टी टोन हॉर्न अथवा साइलेंसर से निकलने वाली कानफोड़ू आवाज हो, इन सभी से ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। आईआईटीआर की ओर से हर साल जारी की जाने वाली रिपोर्ट में प्रदूषण की भयावह स्थिति सामने आ जाती है। आईआईटीआर की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि रिहायशी या इंडस्ट्रियल दोनों इलाकों में मानकों से कहीं अधिक ध्वनि प्रदूषण है। इसके बाद भी हम ध्वनि प्रदूषण को लेकर सचेत नहीं हो रहे हैं।

ये हॉर्न बढ़ा रहे ध्वनि प्रदूषण

परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो दो पहिया व चार पहिया वाहनों में कंपनी से लगकर आए हॉर्न मानकों पर खरे हैं, मगर वाहन स्वामी और तेज आवाज के लिए अलग से हॉर्न लगवा लेते हैं। मार्केट से लगवाए हॉर्न की आवाज निर्धारित मानकों से कहीं ज्यादा है। जिससे ध्वनि प्रदूषण अधिक फैल रहा है। ऐसे वाहन स्वामियों के खिलाफ समय-समय पर चलाए जाने वाले अभियान में चालान की कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन रसूख और शौक के आगे सभी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

प्रेशर हॉर्न लगे होने पर है 10 हजार जुर्माना

साल 2019 में हुए मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के दौरान वाहनों में प्रेशर हॉर्न लगे होने पर 10 हजार जुर्माने का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 की धारा 119 में प्रेशर हॉर्न से संबंधित नियमों का प्रावधान किया गया है। इसके तहत वाहन में लगे हॉर्न एआईएस-014 मानक के अनुसार होने चाहिए, साथ ही ब्यूरो आॅफ इंडियन स्टैंडर्ड एसोसिएशन से अप्रूव्ड होने चाहिए। वहीं साल 2019 में हुए संशोधन के तहत निर्धारित मानक से अधिक आवाज करने वाले वाहनों के साइलेंसर के खिलाफ कार्रवाई के लिए 194 एफ धारा को जोड़ा गया। इसके तहत पहली बार में एक हजार और दूसरी बार पकड़े जाने पर दो हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

बातचीत का लेवल 50-60 डेसीबल

जानकारों की मानें तो कोई सामान्य व्यक्ति 0 डेसीबल तक ध्वनि सुन सकता है, वहीं आम तौर पर बातचीत में ध्वनि का लेवल 50-60 डेसीबल के बीच होता है। अगर कोई व्यक्ति 100 डेसीबल की आवाज को लगातार 15 मिनट तक सुन ले तो उसके सुनने की क्षमता छिन भी सकती है। बिजली कड़कने की आवाज 120 डेसीबल, बंदूक चलाने पर निकलने वाली आवाज का लेवल 140 से 190 डेसीबल तक होता है।

4 जोन में बंटा है शहर

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मानकों के आधार पर लखनऊ शहर को चार जोन में बांटा है। इसके तहत साइलेंस जोन, रेजिडेंशियल जोन, कॉमर्शियल जोन और इंडस्ट्रियल जोन बनाए गए हैं। प्रत्येक जोन के अलग-अलग मानक भी तय किए हैं। साइलेंस जोन की मानक ध्वनि 40 डेसीबल, रेजिडेंशियल जोन की मानक ध्वनि 50 डेसीबल, कॉमर्शियल जोन की मानक ध्वनि 65 डेसीबल और इंडस्ट्रियल जोन की मानक ध्वनि 75 डेसीबल तय की गयी है।

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पकड़े जाने पर होती है चालान की कार्रवाई

यात्रीकर अधिकारी रविचंद्र त्यागी ने बताया कि प्रेशर व मल्टी टोन हॉर्न लगे वाहनों पर प्रवर्तन टीम लगातार कार्रवाई करती है। ये हॉर्न निर्धारित मानक 60 डेसीबल से अधिक शोर फैलाते हैं। यात्रीकर अधिकारी आशुतोष उपाध्याय के अनुसार प्रेशर हॉर्न लगे होने पर 10 हजार रूपए जुर्माने का प्रावधान है।

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