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पर्यावरण मंत्री बोले- प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना जरूरी, भारतीय लोकाचार के केंद्र…

 

नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2023 के उद्घाटन सत्र में मुख्यधारा के सतत विकास और जलवायु लचीलापन के लिए दूरदर्शी नेतृत्व पर जोर दिया। इस अवसर भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना भारतीय लोकाचार के केन्द्र में पारंपरिक रूप से शामिल रहा है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया जलवायु कार्रवाई, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास से संबंधित मुद्दों से निपट रही है, वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत दुनिया भर के देशों के लिए आर्थिक विकास और पर्यावरण के संरक्षण को साथ साथ लेकर चलने की एक प्रेरणा के रूप में उभर रहा है।

यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन जमीनी स्तर पर परिलक्षित हो रहा है, जहां प्रोजेक्ट चीता का सफल क्रियान्वयन एक सफल उदाहरणों में से एक है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से चीतों के दूसरे बैच को 18 फरवरी को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में सफलतापूर्वक लाया गया। यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और भूमि क्षरण का मुकाबला करना एक साझा वैश्विक चुनौती है। साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और कार्यान्वयन के माध्यम से, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर कई मौकों पर, भारत ने यह प्रदर्शित किया है कि वह कभी भी समस्या का हिस्सा नहीं रहा है, लेकिन समाधान का हिस्सा बनने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

भूपेन्द्र यादव ने कहा कि केंद्रीय बजट में ‘हरित विकास’ की अवधारणा एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र होने के साथ, यह पुष्टि करता है कि भारतीय नीति निर्माण प्रक्रिया में सतत विकास को कैसे मुख्यधारा में शामिल किया गया है। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में बोलते हुए, भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत ने शर्म अल शेख में सीओपी 27 में अपना दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति दस्तावेज पहले ही प्रस्तुत कर दिया है, जो सीबीडीआर-आर सी के सिद्धांतों के साथ-साथ जलवायु न्याय और टिकाऊ जीवन शैली के दो प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा 58 देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने अपना नया या अद्यतन एलटी-एलईडीएस जमा किया है।

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