मौसम वैज्ञानिकों की चेतावनी, मौसम चक्र में हो रहे बदलाव से पर्यावरण पर बढ़ रहा खतरा

Environment is in danger

कानपुरः औद्योगीकरण के बाद पिछले 15 वर्षों में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कई गुना बढ़ गया है। ये गैसें आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले उपकरणों, रेफ्रिजरेटर, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से उत्सर्जित होती हैं। दुनिया में हर साल 100 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

दुनिया भर में हो रहे बदलाव

इससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है या यूं कहें कि मौसम चक्र में बदलाव हो रहा है जो पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है। इतना ही नहीं, दुनिया भर में गर्मियां लंबी और सर्दियां छोटी होती जा रही हैं। ये बातें सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडे ने सोमवार को पृथ्वी दिवस पर कहीं। चन्द्रशेखर आज़ाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विज्ञानी ने बताया कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं और पौधों को बचाने और दुनिया भर में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 22 अप्रैल को 'पृथ्वी दिवस' यानी 'अर्थ डे' मनाया जाता है।

उभर रही बड़ी समस्या

साल 1970 में शुरू हुई इस परंपरा को दुनिया ने दिल से अपनाया और आज लगभग पूरी दुनिया में पृथ्वी पर हर साल पृथ्वी दिवस के मौके पर हर तरह के जीव-जंतुओं को उनका हिस्सा और हक दिलाने का संकल्प लिया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना और पृथ्वी को बचाने के लिए किये जा रहे प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।

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उन्होंने आगे कहा कि भले ही हम इतने सालों से विश्व पृथ्वी दिवस मनाते आ रहे हैं, लेकिन देश-दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते आ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी धरती पर खतरा जस का तस बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा खतरा ग्लोबल वार्मिंग है। पृथ्वी के तापमान के लगातार बढ़ते स्तर को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। वर्तमान समय में यह पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी के वायुमंडल के गर्म होने का मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि है। अगर इसे नजरअंदाज किया गया और दुनिया भर के देशों ने इससे निजात पाने के लिए तत्काल कोई कदम नहीं उठाया तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी अपने अंत की ओर बढ़ जाएगी।

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