भोपालः बिगड़ते पर्यावरण को बचाने का सबसे आसान रास्ता अगर कोई है तो जंगलों को न कटने देना और ज्यादा से ज्यादा पेड़ों का रोपण करना है। आमजन में वृक्षारोपण के प्रति जागृति आए इस मकसद से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विशेष अभियान चला रखा है और बीते एक साल से ज्यादा वक्त से वह हर रोज पौधारोपण कर रहे हैं, कुल मिलाकर शिवराज पौधारोपण के ब्रांड एंबेस्डर बन गए हैं।
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आज देश और दुनिया पर्यावरण दिवस मना रही है, 5 जून सभी को पर्यावरण के हालात पर चिंतन और मंथन करने को मजबूर करता है। वर्तमान दौर में क्लाइमेट चेंज और बिगड़ता पर्यावरण सभी के लिए चुनौती बना हुआ है। एक तरफ जहां विकास की रफ्तार तेज हो रही है तो उसका असर पर्यावरण पर भी पड़ रहा है क्योंकि बड़े पैमाने पर जंगल साफ हो रहे हैं। लिहाजा विकास की रफ्तार न रुके और पर्यावरण कम से कम प्रभावित हो, इसके लिए जरूरी है कि पेड़ों को काटने से बचाने के साथ नए जंगल विकसित किए जाएं। देश में वनों की स्थिति पर गौर करें तो वर्ष 2021 की रिपोर्ट कहती है कि देश में लगभग 7,13,789 वर्ग किलोमीटर में वन क्षेत्र है मध्य प्रदेश पर गौर करें तो राज्य में वन क्षेत्र 77493 वर्ग किलोमीटर में है। यह रिपोर्ट बताती है कि राज्य में वर्ष 2019 की तुलना में महज 11 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र की बढ़ोतरी हुई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए बीते साल 19 फरवरी 2021 को नर्मदा जयंती पर हर रोज पौधा रोपने का संकल्प लिया था, उनका यह संकल्प तब से अब तक निरंतर जारी है। वे कहीं भी रहे मगर पौधा रोपित करने से नहीं चूकते। आम लोगों से भी यही अपील करते हैं कि वे अपने जन्मदिन या प्रिय जन की याद में पौधों का रोपण करें। राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी शिवराज के इस आह्वान का समर्थन किया और अपने जन्मदिन पर आम लोगों से पौधा रोपित करने की अपील की।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यदि धरती को सुरक्षित रखना है तो वृक्षारोपण आवश्यक है। पर्यावरण नहीं बचा तो आने वाली पीढ़ियों को अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए ज्यादा संघर्ष करना होगा। पेड़ हमारे लिए जीवन के समान है यह ऑक्सीजन देने के साथ-साथ जीव जंतुओं को आश्रय देते हैं, इसलिए जनसामान्य अपने जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ और माता-पिता के पुण्य स्मरण में पौधा जरूर लगाएं।
राज्य के वन क्षेत्रों के जानकार गणेश पांडे का कहना है कि भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट यह बताती है कि राज्य में भले ही 11 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल बढ़े हों, मगर सघन वन क्षेत्र में साढे पांच हजार वर्ग किलोमीटर जंगल साफ हो गए हैं। यह स्थितियां चिंताजनक है. दावे कुछ भी हो,मगर हकीकत इससे उलट है। वृक्षारोपण के अभियान चलाए जाते हैं, मगर हकीकत क्या है यह हम आपके सामने है।
वहीं कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव का कहना है कि सरकार कागजी तौर पर दावे कुछ करें, वृक्षारोपण को इवेंट बनाए, मगर राज्य में लगातार सघन वन कम हो रहा है, यह चिंताजनक है। राज्य में नर्मदा नदी के किनारे करोड़ों पौधे रोपे गए थे, कागज में दर्ज भी है, क्या आज भी पेड़ मौजूद हैं। जवाब यही है नहीं। इसलिए बात करने से ज्यादा जरूरी है कि जो पेड़ लगाए जाएं उनके जीवित रहने की भी गारंटी हो। वहीं नेशनल पार्क में लगातार अतिक्रमण जारी है, यह भी चिंताजनक स्थिति है।
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