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World Environment Day Special: नौनिहालों के सहारे कृषि और पर्यावरण को बचाने की मुहिम

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लखनऊः चारों तरफ बढ़ता प्रदूषण मानव के अस्तित्व बनाने वाले बुनियादी तत्वों- पृथ्वी, जल, आकाश और वायु को नुकसान पहुंचा रहा है। इसे रोकने के लिए दुनिया भर में सरकारें प्रयास कर रही हैं। इस मुहिम में कई संगठन और व्यक्ति भी जुटे हैं। ऐसे ही एक पर्यावरण प्रेमी दंपति अनीश और अशिता हैं, जिन्होंने नौनिहालों के सहारे पर्यावरण (World Environment Day) और कृषि को सेहतमंद बनाने का अभियान छेड़ा है। अनीश और अशिता उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे उन्नाव जिले के पश्चिम गांव में 'द गुड हार्वेस्ट' के नाम से विद्यालय चलाते हैं। अनीश ने बताया कि वह पत्नी के साथ 2016 से इस विद्यालय को चला रहे है। इसमें गांव के बच्चों को कृषि की सेहतमंद पद्धतियों के बारे में पढ़ाया जाता है। उन्होंने बताया कि उनके विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों में ज्यादातर लड़कियां हैं।

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अनीश ने कहा, इस विद्यालय में अभी अभी कक्षा एक से लेकर पांच तक पढ़ाई होती है। इनमें 60-70 बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाया जाता है। बच्चों को सारे विषय पढ़ाए जाते हैं, लेकिन पर्यावरण संरक्षण (World Environment Day) और कृषि पर विशेष जोर दिया जाता है।' उन्होंने आगे कहा, "हमारे स्कूल में कक्षा पांच का बच्चा मशरूम उगाना जानता है। हम बच्चों को बीज का चुनाव करने से लेकर फसल को बाजार तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताते हैं, बच्चे इस पूरी प्रक्रिया को जानते हैं। अनीश अपने स्कूल में दो एकड़ जमीन पर नैचुरल खेती करते हैं और बच्चों को प्राकृतिक खेती सिखाते हैं।"

उनका कहना है कि इससे उनकी बाजार पर निर्भरता खत्म हो गई है, क्योंकि इससे साल भर खाने का राशन और सब्जियां उगा लेते हैं और उसमें कुछ बेच भी देते हैं। अनीश कहते हैं, हमने अपनी दिल्ली से नौकरी छोड़कर खेती का यह काम शुरू किया। शुरुआत में सिर्फ 6 बच्चे आए। बाद में और बच्चे जुड़े। अब संख्या बढ़ रही है। इससे आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ी है और पलायन भी रुका है। उन्होंने कहा, हमारा मकसद लोगों को पर्यावरण संरक्षण और शुद्ध खान-पान के बारे में जागरूक करना है। इसी कारण हमने कृषि आधारित स्कूल की शुरूआत की है, ताकि बदलाव को हकीकत बनाया जा सके।

अनीश ने बताया, "बच्चों को बीज, खाद और पानी की मुकम्मल जानकारी देने के लिए समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण दिलाया जाता है। हम लोग छोटे बच्चों को लोग खेल-खेल में कृषि की सारी बातों को सिखाने का प्रयास करते हैं। हम तीन बातों पर ज्यादा ध्यान देते हैं- केयर फॉर अर्थ, केयर फार पीपुल्स, फेयर फार शेयर। अनीष इस काम में अपनी पत्नी अशिता का पूरा साथ मिलता है, जो पहले शिक्षका रही हैं।"

अशिता ने बताया कि बच्चों को जलवायु अनुकूल कृषि के अलावा पेड़ लगाने, अंतर-फसली व कम लागत वाली खेती, मृदा संरक्षण और प्लास्टिक रहित खेती के बारे में भी बताया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि खेती के ज्यादातर काम महिलाएं ही करती है, इसलिए हमने स्कूल में बच्चियों पर फोकस किया है। विद्यालय की छात्राओं आंचल,काजल और मीनू का कहना कि हमारे स्कूल में पढ़ाई के साथ प्रैक्टिकल पर बहुत ध्यान दिया जाता है, जिससे जल्दी चीजें समझ में आती हैं। पश्चिम गांव के शिवशंकर कहते हैं कि यह स्कूल बहुत अच्छा है। यहां बच्चों को खेती-किसानी की नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है।

वहीं जबरैला पश्चिम गांव के प्रधान महेश कुमार यादव कहते हैं कि इस स्कूल के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है, इसके अलावा जो भी सहयोग संभव होता है, वह किया जाता है। वहीं, स्कूल चलाने के खर्च पर अनीश ने बताया कि इसे कुछ लोगों के आर्थिक सहयोग और सब्जियों व अनाज की बिक्री से पूरा किया जाता है। वहीं,अशिता ने कहा कि अभी तक कोई सरकारी अनुदान हमें नहीं मिला है, अगर मिलता है तो इस काम को मजबूती से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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