नई दिल्ली: ऊर्जा मंत्री (Energy Minister) एके शर्मा ने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विश्व औसत का एक तिहाई है जबकि विकसित देशों में उत्सर्जन विश्व औसत का तीन गुना है। वायुमंडल में लगभग 85 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड का भार विकसित देशों द्वारा अपनाए गए औद्योगीकरण के कारण है। भारत की जनसंख्या विश्व जनसंख्या का 17 प्रतिशत है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड भार में हमारा योगदान केवल 3.5 प्रतिशत है लेकिन विकसित देश हमें बताना चाहते हैं कि हमें कोयले का उपयोग नहीं करना चाहिए।
जिम्मेदारी से करेंगे विकास
केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आज यहां प्रगति मैदान में चल रहे भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2023 में ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित पावर पवेलियन के उद्घाटन के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए यह बात कही। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विकसित देशों को सबसे पहले अपने उत्सर्जन में कटौती करने की जरूरत है। भारत बढ़ती अर्थव्यवस्था की बिजली जरूरतों से समझौता नहीं करेगा, बल्कि हम जिम्मेदारी से विकास करेंगे। इस मौके पर बिजली सचिव पंकज अग्रवाल भी मौजूद थे।
लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से 40 प्रतिशत स्थापित बिजली क्षमता के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य को प्राप्त करने में नौ साल आगे हैं। हमने 2015 में सीओपी-21 में प्रतिज्ञा की थी कि हम अपने उत्सर्जन को कम करेंगे। हमने इसे 2019 तक बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया है। इसलिए हमने ग्लासगो में कहा है कि 2030 तक हमारी क्षमता का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से आएगा और हम अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम कर देंगे। हम इसे हासिल करेंगे, इसलिए हम लक्ष्य पर हैं।’
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मंत्री ने कहा कि हमने पिछले नौ वर्षों के दौरान लगभग 1.9 लाख मेगावाट बिजली क्षमता जोड़कर क्षेत्र को बदल दिया है। पूरा देश एक राष्ट्रीय ग्रिड के तहत जुड़ा हुआ है। निवेश से वितरण व्यवस्था को मजबूत किया गया है। 2.1 लाख करोड़। बिजली की उपलब्धता अब ग्रामीण क्षेत्रों में 21 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 23.5 घंटे है। हमने हर घर में बिजली पहुंचायी है। भारत दुनिया में सबसे तेज गति से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है।
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