DU Teacher Salary Delay: दिल्ली यूनिवर्सिटी के सैकड़ों शिक्षक शुक्रवार को अपना विरोध जताने के लिए दिल्ली विधानसभा पहुंचे। इस दौरान डीयू के सभी कॉलेजों में पूर्ण हड़ताल रही। विधानसभा के बाहर नाराजगी जताने पहुंचे शिक्षकों ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के कई कॉलेजों में शिक्षकों को तीन महीने से वेतन भी नहीं मिल रहा है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) के मुताबिक, शुक्रवार को शिक्षक कॉलेज नहीं गए और कक्षाएं नहीं ली गईं। डूटा और विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने 19 जनवरी को दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आतिशी द्वारा लिखे गए पत्रों की निंदा की। डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने आईएएनएस को बताया कि शिक्षा मंत्री आतिशी द्वारा दो पत्र लिखे गए थे, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 939 शिक्षण पद खाली कर दिए गए हैं। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में अवैध रूप से बनाया गया।
अजय भागी ने क्या कहा?
भागी ने कहा, “फंड में कटौती और इन कॉलेजों को वित्तीय रूप से बीमार घोषित करने वाले ये पत्र दिल्ली सरकार की उच्च शिक्षा विरोधी रणनीति के अलावा कुछ नहीं हैं। इसका उद्देश्य इन कॉलेजों को डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और कौशल विश्वविद्यालय जैसे राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करना है।”
DUTA के मुताबिक, सरकार चाहती है कि ये कॉलेज डिग्री देने वाले स्वायत्त कॉलेज बनें। इसका सीधा सा अर्थ है इन सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों को स्व-वित्तपोषित संस्थानों में परिवर्तित करना। उन्होंने कहा है कि इन कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन के लिए अविलंब राशि जारी की जाये।
विरोध प्रदर्शन और तेज होने की संभावना
आपको बता दें कि पिछले कई महीनों से इन कॉलेजों के शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है। डूटा ने अपने आंदोलन को तेज करने और दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विरोधी मॉडल को जनता के सामने उजागर करने का संकल्प लिया। अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो अगले हफ्ते से दिल्ली के अलग-अलग कोनों में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू किया जाएगा।
डूटा सचिव डॉ. अनिल कुमार ने आईएएनएस को बताया कि इन कॉलेजों के शिक्षकों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। दिल्ली सरकार ने फंड में कटौती की है और चाहती है कि वेतन का भुगतान छात्रों की फीस से किया जाए, डूटा ऐसा कभी नहीं होने देगा।
डूटा अध्यक्ष ने शिक्षकों की चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों के एडहॉक शिक्षक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कई वर्षों तक इन कॉलेजों में पढ़ाया है और अब आतिशी द्वारा इन नियुक्तियों और पदों को अवैध घोषित करना हमारे लिए अस्वीकार्य है। हालांकि, यूजीसी वित्त पोषित अधिकांश कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन इन 12 कॉलेजों में अभी तक स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
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