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एनडीए सांसदों और विधायकों की बैठक द्रौपदी मुर्मू ने कहा- मेरे रग-रग में है झारखंड

रांची: झारखंड की पूर्व राज्यपाल और एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू सोमवार को अपने एकदिवसीय दौरे पर झारखंड पहुंची। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर उनका भाजपा एसटी मोर्चा के कार्यकर्ताओं द्वारा पारंपरिक रीति रिवाज, नृत्य संगीत, ढोल-नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया गया। मुर्मू के साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल और महाराष्ट्र की सांसद हिना गबित भी थीं। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से मुर्मू होटल बीएनआर चाणक्य पहुंची, जहां वे एनडीए के सांसद और विधायकों की बैठक में शामिल हुईं।

होटल बीएनआर चाणक्या में एनडीए के सांसदों और विधायकों की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड से मेरा गहरा नाता है। झारखंड मेरे रग-रग में समाया हुआ है। मेरे पूर्वज झारखंड से हैं, मेरी दादी भी झारखंड से थीं। मैं अपने आप को झारखंड की ही मानती हूं। उन्होंने कहा कि इस लगाव के कारण ही राज्यपाल रहते हुए मैं यह हमेशा सोचती रही कि यहां के गांव, गरीब और जनजाति समाज को विकास की मुख्यधारा से कैसे जोड़ा जाए। मैंने यह हमेशा ध्यान दिया कि झारखंड के सम्मान के साथ मैं न्याय कर पाऊं। मैंने झारखंड में झारखंडी बनकर सेवा की।

उन्होंने कहा कि झारखंड के सुदूर गांव-देहात तक घूम-घूम कर समस्याओं को जानने-समझने की कोशिश राज्यपाल रहते मैंने की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। एनडीए ने एक साधारण परिवार से आने वाली आदिवासी महिला को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है। मैंने जिस तरह राज्यपाल रहते हुए दलगत भावना से ऊपर उठकर संविधान के दायरे में अपनी जिम्मेदारी निभाई। आगे भी सबके सहयोग और समर्थन से ऐसा ही करती रहूंगी, ऐसा विश्वास दिलाती हूं।

उन्होंने लोकतंत्र के हित में नारी सशक्तिकरण को बल मिले, इस दृष्टि से जनजाति समाज की पहली महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने की अपील की। उन्होंने राज्य के सभी सांसद और विधायकों से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की।

केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने द्रौपदी मुर्मू का परिचय करते हुए कहा कि ओडिसा के छोटे गांव से इनकी जीवन यात्रा प्रारंभ हुई। जीवन में अनेक संघर्षों को इन्होंने देखा है परंतु अपने सेवा और समर्पण के भाव के बल पर आगे बढ़ती रहीं। एक शिक्षिका, एक विधायक, एक मंत्री और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में इन्होंने जीवन को हर क्षेत्र में नजदीक से देखा और अनुभव किया है। आज वे भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं जो सिर्फ जनजाति समाज के लिये ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है।

आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि राष्ट्रपति पद दल का नेतृत्व करने वाला पद नहीं बल्कि भारत के संविधान का नेतृत्व करने वाला पद है। उन्होंने एनडीए के शीर्ष नेतृत्व का आभार प्रकट करते हुए सभी दलों से समर्थन करने की अपील की।

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