नई दिल्लीः भारत में डाॅक्टरों की तुलना भगवान से की जाती है। जिस तरह भगवान इंसान का सृजन और उसके जीवन की रक्षा करते हैं। उसी तरह मुसीबत के समय डाॅक्टर भी हमारे जीवन को बचाकर हमें नया जीवन देते हैं। बच्चे के जन्म से लेकर मृत्यु तक डाॅक्टर हमें नया जीवन देने का काम करते हैं। उनके योगदान को कभी भी भूला नहीं जा सकता है। कोरोनाकाल में तो कई डाॅक्टरों की जान अपने मरीजों का जीवन बचाने में चली गयी। इसीलिए भारत में डाॅक्टरों के योगदान और उनके त्याग को याद करने के लिए हर साल एक जुलाई को नेशनल डाॅक्टर डे मनाया जाता है। इस दिन सभी डाॅक्टरों को उनके कार्यो के लिए धन्यवाद और शुभकामनाएं देते है।
आखिर 1 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है डाॅक्टर डे
केंद्र सरकार ने साल 1991 में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत की थी। 1 जुलाई को डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्म हुआ था। उनकी याद में इस दिन को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है। डॉ. बीसी रॉय महान डॉक्टर थे। वो पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे। डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय ने महात्मा गांधी के कहने पर राजनीति में कदम रखा था। वो एक महान समाजसेवी, आंदोलनकारी और अच्छे राजनेता भी थे। आजादी के दौरान उन्होंने सैकड़ों लोगों की सहायता की और अपनी सारी कमाई लोगों पर खर्च की।
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कौन हैं डाॅक्टर बिधानचंद्र राय
लंबे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रह चुके चिकित्सक व राजनेता डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय की जयंती के उपलक्ष्य में एक जुलाई को हर साल पूरे देश में चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। आजादी के महानायकों में शामिल रहे डॉक्टर रॉय आधुनिक बंगाल के निर्माता माने जाते हैं। आजादी के बाद आज तक पश्चिम बंगाल के कोने कोने में विकास के जो भी काम हो रहे हैं उसका सपना और स्वरूप डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय ने हीं बनाया था। बिधान बाबू मुख्यमंत्री तथा एक सफल नेता होने के साथ-साथ एक के सिद्धहस्त चिकित्सक भी थे।
इस वर्ष की डाॅक्टर डे की थीम
हर साल डाॅक्टर डे को किसी न किसी थीम के साथ ही सेलिब्रेट किया जाता है। हर साल की इस वर्ष भी डाॅक्टर डे को थीम के तहत मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है ‘फैमिली डाॅक्टर ऑन दि फ्रंट लाइन’।
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