हेल्थ खाना-खजाना

दूध के साथ भूल कर भी न खाएं ये चीजें, मौत को दे सकते हैं दावत

लखनऊः भारत की प्राचीन परंपरा और खान-पान को दरकिनार कर आज हम अपने खान-पान में कई ऐसे तत्वों को शामिल कर रहे हैं।जो हमारे शरीर के लिए ठीक नहीं है। प्राचीन ग्रन्थों में कहा गया है कि एक साथ दूध और नमक या नमक से सम्मिलित खाद्य सामग्री का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये शरीर में जहर बनाने में मददगार होता है। लेकिन हम ऐसा कर रहे हैं। चाहे वह जानते हुए या अंजानवश। ये बातें ऋचा रंजन ने बताई।

कौन हैं ऋचा रंजन

ऋचा रंजन आईआईटी रुड़की से बीटेक और महज 29 वर्ष की आयु में अपनी प्रतिभा के बल पर अंतरराष्ट्रीय कंपनी मोर्गन स्टेनले की उपाध्यक्ष बनी। दो साल तक नौकरी करने के बाद त्यागपत्र दे दिया। दादा और पिता बिहार पुलिस के महानिदेशक क्रमशः स्व.जगदानंद और अभयानंद है।ससुर स्व. दिनेश्वर शर्मा आईपीएस सेवा के सर्वोच्च पद आईबी निदेशक रहें हैं। पति प्रितेश रंजन आईआईटी दिल्ली से बीटेक और आईआईएम अहमदाबाद से पास आउट हैं।

ऐसे पारिवारिक पृष्ठभूमि की ऋचा करोड़ों रुपए वार्षिक पैकेज को छोड़कर प्रकृति की ओर वापस लौटने के लिए जनजागरण अभियान चला रही है। वो भी बगैर एनजीओ की मदद के।

ऋचाा रंजन बताती है कि भौतिक युग में प्रचार-प्रसार के कारण हमारी दिनचर्या से लेकर खान-पान पर असर पड़ा है। पहले हमारे माता-पिता या बुजुर्ग दूध और नमक या नमकयुक्त खाद्य पदार्थ एक साथ नहीं देते थे। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण था। लेकिन अब हम सुबह की शुरुआत चाय-कॉफी या बिस्कुट या हेल्थ ड्रिंक से करते है। ऋचा रंजन बताती है कि इससे हमारे शरीर में टोक्सिन बनता है। जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है।

ऋचा रंजन के अनुसार कई बिस्कुट या हेल्थ ड्रिंक बनाने में दूध का इस्तेमाल किया जाता है। शरीर में जाते ही दूध टाक्सिन बन जाता है। ब्रेड में नमक रहता है। ऐसे में ब्रेड के साथ दूध युक्त चाय या कॉफी से टाक्सिन शरीर में बनता है। ऋचा रंजन आगे कहती है कि प्राकृतिक सामग्री को लैब में अप्राकृतिक बना दिया जाता है।

वे बताती है कि ऐसा प्रचार किया जाता है कि बच्चें विशेष कर भंवरजाल में फंस जाते है।बच्चें बिस्कुट और खाद्य पदार्थ के कुछ वैसे ब्रांड की ओर आकर्षित हो जाते है। जिसमें दूध और नमक का प्रयोग बनाने में होता है।

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ऋचा रंजन का कहना है कि नमक युक्त भोजन के साथ खीर नहीं खानी चाहिए। क्योंकि यहां भी दूध और नमक का एक साथ सेवन की प्रक्रिया है। जो शरीर में टाक्सिन निर्माण का कारक है।