लखनऊः शहर को सजाने के लिए दिन-रात कवायद चल रही है। सड़कों को धोया जा रहा है और फुटपाथ के किनारों पर लगाने के लिए रंगीन पत्ते वाले पौधे ढूंढ़ कर लाए जा रहे हैं। पार्कों में मोहक फूल वाले पौधे लगाने के लिए नगर निगम कई माह से जद्दोजहद कर रहा है। तमाम स्थानों पर नालियों और पुराने खड़ंजे की जगह टाइल्स लगाकर कायाकल्प किया जा चुका है। इसके बाद भी एक वार्ड ऐसा भी है, जहां की पहचान ही गंदगी बन गई है। यहां हर गलियों में आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं। यहीं रहते हैं और रात-दिन गंदगी फैलाते हैं।
राजधानी लखनऊ का अंबेडकर नगर वार्ड सफाई के मामले में काफी पीछे है। यहां जगह-जगह गंदगी के ढेर हैं। खाली पड़े पार्कों को लोगों ने कूड़ाघर बना रखा है। लोग यहीं अपने घरों से निकलने वाला कचरा भी डालते हैं। अंबेडकर नगर वार्ड वैसे तो काफी विस्तृत क्षेत्र में है, लेकिन इसमें ज्यादातर लोग अवैध तरीके से रह रहे हैं। यह क्षेत्र तीन ओर से रेलवे लाइन से घिरा हुआ है, इसलिए ज्यादातर लोग यहां अपना ठिकाना सालों से यहां बनाए हुए हैं। कई ट्रैक तो दशकों से इस्तेमाल भी नहीं किए गए हैं। यहां बाहरी लोगों ने भी अपना टेंट तम्बू गाड़ रखा है। यह लोग इधर-उधर कूड़ा डालते रहते हैं। इनमें तमाम लोग ऐसे हैं जो कबाड़ का काम करते हैं।
नगर निगम ने नहीं दिए बिन
यहां का एक खास मोहल्ला गढ़ी कनौरा है। इसमें दो दशक पहले काफी जमीन नजूल की हुआ करती थी। शहर में कमाने या रोजगार के लिए आए लोगों ने तमाम जमीन कब्जा ली। इससे यहां की गलियां संकरी हो गईं। नगर निगम की ओर से क्षेत्र में कूड़ा उठाने के लिए कर्मचारियों को पुराने तरीकों को ही अपनाना पड़ता है। इनमें दो चक्के की हाथ गाड़ी में ही कर्मचारी कूड़ा ले जाते हैं। ऐसी जगह यहां नहीं है, जहां पर निगम की ओर से बिन लगवा दिए जाएं। यही कारण है कि खाली पड़े प्लाट अब कूड़ाघर के काम आ रहे हैं। हालांकि यह कूड़ा इधर-उधर उड़ता रहता है। पानी भरने से सड़न और बदबू आम बात हो गई है। यहां के सभासद रईश कहते हैं कि नगर निगम की ओर से कूड़ाघर की मांग सालों से चल रही है, लेकिन अधिकारियों की उपेक्षा की वजह से क्षेत्र में गंदगी का अंबार है।
हर गली में हैं आवारा कुत्ते
नगर निगम के कर्मचारी यहां क्षेत्र के लोगों की शिकायतों को गंभीर मानते हैं। यह बात खुद लोग स्वीकारते हैं। इसके बाद भी यहां कुत्तों की संख्या कम नहीं हो सकी है। सालों से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। किसी भी गली में प्रवेश करिए, यह आगे पीछे लग जाते हैं। यही नहीं शाम से ही यह भौंकना शुरू कर देते हैं। लोगों को सोने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कई बार कुत्ते लोगों को अपना निशाना बना चुके हैं, जिससे लोग गलियों से गुजरने में भी कतराते हैं। यह गंदगी तो करते ही हैं, नगर निगम के लिए भी मुसीबत बने हैं। जब कभी इनके बधियाकरण के लिए कर्मचारी गाड़ी लेकर जाते हैं, यह संकरी गलियों में घुसकर इधर से उधर निकल जाते हैं। कर्मचारियों को खाली हाथ वापस आना पड़ जाता है।
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एक्शन लेने से कतरा रहा प्रशासन
इस क्षेत्र में अवैध तरीके से रह रहे लोग गंदगी तो फैला ही रहे हैं, सुरक्षा के लिए भी संकट बने हुए हैं। गढ़ी कनौरा में रेल लाइन के किनारे इन्होंने अपने रहने के लिए जगह बना ली है। यहीं कूड़ा फेंक देते हैं। इस लाइन से पूर्वांचल की तमाम गाड़ियां भी निकलती हैं। कभी इस अवैध बस्ती को हटाने के लिए प्रशासन ने भी कोशिश नहीं की है।