कोलकाता: डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने पश्चिम बंगाल सरकार के परिवहन विभाग द्वारा संचालित कलकत्ता स्टेट ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (सीएसटीसी) की बसों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी है। यात्री परिवहन से इतनी आय़ नहीं हो रही है कि इन बसों के परिचालन के लिए ईंधन की कीमतें पूरी की जा सके। फलस्वरुप बसों का परिचालन रोकना पड़ा है और इनमें काम करने वाले कर्मचारियों को बिना काम किये वेतन दिए जा रहे हैं।
कलकत्ता राज्य परिवहन कर्मचारी संघ के महासचिव रामप्रसाद सेनगुप्ता ने बताया कि एक टैंकर में 12 हजार लीटर तेल होता है जिसकी कीमत ढाई साल पहले आठ से साढ़े आठ लाख रुपये थी, जो अब बढ़कर 12 लाख रुपये हो गयी है। राज्य सरकार की ओर से इंडियन ऑयल कारपोरेशन को पहले यह कीमत चुकानी पड़ती है जिसके बाद टैंकर लाए जाते हैं। अब यह कीमत चुकाना संभव नहीं हो पा रहा इसलिए बसें खड़ी हैं।
तेल के एक टैंकर की कीमत करीब साढ़े तीन से चार लाख रुपये तक बढ़ गई है लेकिन बसें से इतनी आमदनी नहीं हो रही है। सीएसटीसी की बसों की कुल संख्या करीब 950 है। इनमें से 300 से अधिक एसी बसें हैं। इलेक्ट्रिक बसों की संख्या करीब 60 है। अनुमान के मुताबिक पहले ट्रिप में 500 से 550 बसें सड़कों पर उतारी जाती थी उसके बाद दूसरे ट्रिप में बाकी 350 बसें चलती थीं।
रामप्रसाद ने आगे बताया कि अगर 60 टैंकर डीजल होते तो शायद 65 फीसदी बसें चलाई जा सकतीं। अब पहली ट्रिप में करीब 400 बसें चलती है। दूसरी ट्रीप में कमोबेश 250 बसों को सड़कों पर उतारा जा रहा है। अस्पताल स्टाफ के लिए कुल 50 बसें चलाई जाती थीं लेकिन सोमवार से इसे बंद कर दिया गया है। सीएसटीसी की तीन से चार डीपो से तो बसें निकाली हीं नहीं जा रही हैं। पहले सोमवार से शुक्रवार तक सीएसटीसी की बसें चलती थीं तो 28 से 30 लाख की आमदनी होती थी लेकिन अब यह घटकर 14 से 15 लाख हो गया है। सप्ताहांत में केवल छह लाख रुपये की आमदनी हो रही है। कुल मिलाकर कहें तो आय घट रही है और खर्च बढ़ रहा है। इसलिए बसें चलाना संभव नहीं हो पा रहा।
सीएसटीसी के स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों की संख्या क्रमश: 2250 और 900 हैं। उनका वेतन और दैनिक आवंटन जोड़कर लगभग 16 करोड़ रुपये आता है। इस पर साढ़े चार करोड़ की पेंशन है। स्थायी कर्मचारियों की औसत आयु लगभग 57 वर्ष है। इनमें से बड़ी संख्या में तीन साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जहां तक बसों की बात है तो चालक-कंडक्टर का एक बड़ा हिस्सा ठीके पर काम कर रहा है। प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 हजार रुपये से भी कम मिलता है। वे स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं।
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राम प्रसाद ने कहा कि 2007 में जब रंजीत कुंडू परिवहन मंत्री थे, तब सीएसटीसी के 276 अस्थायी कर्मियों को स्थायी किया गया था। तृणमूल के सत्ता में आने के बाद से किसी को भी स्थायी नहीं किया गया है। हालांकि कोरोना से मारे गए लोगों दो से तीन लोगों के परिवार से कुछ लोगों को नौकरी पर रखा गया है लेकिन अन्य मृतक श्रमिकों के परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिल रही है। इस मामले में हमने अधिकारियों को लिखित में अस्थायी कर्मचारियों के स्थायीकरण और मृतक श्रमिकों के परिवार में किसी को काम देने के बारे में मांग की है।
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