Dr. Ram Manohar Lohia Hospital, लखनऊ: राजधानी लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में मरीज को अधूरा इलाज देकर बाहर निकाले जाने के मामले में 6 डॉक्टरों समेत 13 स्वास्थ्यकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। घटना सामने आने के बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था। उपमुख्यमंत्री के निर्देश पर संस्थान के निदेशक सीएम सिंह ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दो इमरजेंसी ऑफिसर, चार रेजीडेंट डॉक्टर, दो पीआरओ और पांच अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया।
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, शुक्रवार को खबर वायरल हो रही थी कि लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में सीतापुर के एक मरीज को उचित इलाज नहीं दिया गया और अधूरा इलाज करके उसे बाहर निकाल दिया गया। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। जब काफी हंगामा हुआ तो उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले का तत्काल संज्ञान लिया और कहा कि किसी भी मरीज के इलाज में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार मरीजों के हित में लगातार कदम उठा रही है और चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के सख्त निर्देश
बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि गंभीर मरीजों को तत्काल और पूरा इलाज दिया जाए। इसके बावजूद सीतापुर के एक मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही उजागर हुई है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने हाल ही में विधान परिषद में बताया था कि पहले अस्पतालों का डेटा दर्ज नहीं होता था, लेकिन अब हमारे पास रोजाना का डेटा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अस्पतालों में हर दिन 1.75 लाख मरीज पहुंचते हैं, जिनमें से 12 हजार मरीज गंभीर दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं और आठ हजार गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते हैं।
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अस्पतालों के कामकाज पर रहेगी तीसरी नजर
सरकार ने जिला मुख्यालयों में डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराई है और अब प्रत्येक जिला मुख्यालय में दस-दस बेड की सुविधा है। इसके साथ ही मरीजों को सीटी स्कैन की सुविधा भी दी जा रही है। अस्पतालों के कामकाज पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी निगरानी लखनऊ में डीजी हेल्थ ऑफिस में स्थित कमांड सेंटर के जरिए की जाती है। घटना के बाद उपमुख्यमंत्री ने वादा किया कि स्वास्थ्य सेवाएं सर्वोत्तम मानकों की होंगी और किसी भी मरीज के साथ किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।