नई दिल्लीः दिल्ली में एमसीडी चुनाव का बिगुल बज चुका है। मुख्य पार्टी के रूप में सत्ता में रहने और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर शासन करने के सात साल बाद आम आदमी पार्टी (AAP) पर भारतीय जनता पार्टी के 15 साल के शासन को खत्म करने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया है। आप ने 2017 में पहली बार एमसीडी चुनाव मैदान में भाग लिया था और 49 वार्ड जीतने में सफल रही। भाजपा से चुनाव हारने के बावजूद पार्टी मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस की जगह लेने में सफल रही। 2017 के निकाय चुनावों में कांग्रेस ने केवल 31 वाडरें पर जीत दर्ज की थी।
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हालांकि इस बार एमसीडी का चुनाव आप और बीजेपी दोनों के लिए ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ जैसा हो गया है। यदि AAP चुनाव जीत जाती है, तो पार्टी अपने गठन के बाद पहली बार एमसीडी पर शासन करेगी। और अगर भाजपा एमसीडी चुनाव जीत जाती है, तो वह लगातार चौथी बार नगर निकाय पर शासन करने का रिकॉर्ड बनाएगी। इसलिए इस चुनाव में आप और भाजपा दोनों के बहुत अहम है।
भाजपा 2007, 2012 और 2017 में लगातार तीन बार नगर निकाय चुनाव जीतने में सफल रही है और 15 वर्षों से एमसीडी पर शासन कर रही है। 2007 में भाजपा ने 164 सीटें जीतकर कांग्रेस से कब्जा छीन लिया। इस दौरान कांग्रेस को केवल 67 वार्डो में जीत मिली थे। चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) को 17 सीटें मिलीं थी। अन्य को उस चुनाव में 24 सीटें मिली थीं।
2012 के एमसीडी चुनाव में, भाजपा फिर से जीतने में सफल रही। हालांकि पार्टी ने 26 वार्ड खो दिए और केवल 138 सीटों पर जीत दर्ज की। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 10 वार्डो के साथ 77 सीटें जीतीं। और अन्य 57 वार्ड जीतने में सफल रहे, इसमें बसपा की 15 सीटें भी शामिल थीं। यूपीए 2 के शासन में एमसीडी के तीन निकायों में विभाजित होने के बाद यह पहला चुनाव था। आप उस साल मैदान में नहीं थी।
2017 के निकाय चुनाव में भाजपा फिर से 181 सीटों के साथ सत्ता में आई, 2012 की तुलना में 43 सीटों का लाभ मिला। आप के उभार के बाद भाजपा, कांग्रेस और आप के रूप में चुनाव त्रिध्रुवीय हो गया। इस चुनाव में आप को पहली बार 49 और बीजेपी को 43 सीटों पर जीत मिली थी। चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था। वह 46 सीटों पर हार गई और केवल 31 वार्ड जीतने में सफल रही। वह एमसीडी में तीसरे पक्ष के रूप में उभरी। आप ने सीटों और वोट शेयर दोनों के मामले में कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया।
बसपा ने भी 12 वार्ड गंवाए और 2017 में पूर्वी दिल्ली में दो घरोली और सीलमपुर और उत्तरी दिल्ली में एक रोहिणी सी में केवल तीन वाडरें को जीतने में कामयाब रही। हालांकि दिल्ली के राजनीतिक परि²श्य में उस चुनाव के बाद बसपा गायब दिख रही है। 2017 में भाजपा ने 34.87 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) में सबसे अधिक 70 वार्ड जीते, जबकि आप 26.44 प्रतिशत वोट शेयर के साथ केवल 16 वाडरें में जीत हासिल करने में सफल रही।
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