Delhi Flood: यमुना नदी ने फिर दिखाया रौद्र रूप, राजधानी के निचले इलाकों को कराया गया खाली

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Delhi Flood: राजधानी दिल्ली में आज शाम 4 बजे यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। इस समय यमुना 206.31 मीटर पर बह रही है। रात तक यह और बढ़ सकता है। दिल्ली प्रशासन यमुना खादर और निचले इलाकों को तुरंत खाली करवा रहा है। जल स्तर में तेजी से वृद्धि से बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्य प्रभावित हो सकते हैं।

हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया दो लाख क्यूसेक पानी

दिल्ली की राजस्व मंत्री आतिशी का कहना है कि शनिवार को हरियाणा के यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज से दो लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी यमुना नदी में छोड़ा गया। संभावित खतरे को देखते हुए दिल्ली सरकार हाई अलर्ट पर है। उन्होंने आशंका जताई थी कि अगर जलस्तर 206.7 मीटर तक पहुंच गया तो यमुना खादर का कुछ हिस्सा डूब सकता है। पिछले कुछ दिनों से यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर के आसपास बना हुआ है। 13 जुलाई को यह रिकार्ड 208.66 मीटर पर पहुंच गया।

केंद्रीय जल आयोग के बाढ़ निगरानी पोर्टल के अनुसार, 11 जुलाई की रात को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना का जल स्तर बढ़ना शुरू हुआ। दोपहर 12:01 बजे पुराना लोहा पुल (पुराना पुल) पर जल स्तर 206.05 मीटर तक पहुंच गया। 12 जुलाई की रात 11:00 बजे यह 206।83 मीटर दर्ज किया गया। 13 जुलाई की रात ठीक 12 बजे यह तेजी से बढ़ते हुए 208.13 मीटर पर पहुंच गया और सुबह 8 बजे तक 208।48 मीटर पर पहुंच गया। रात 08 बजे के बाद 208.66 मीटर को पार कर गया।

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1978 की दिल्ली को रुला दिया था

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इससे पहले दिल्ली में 1924, 1977, 1978, 1995, 2010 और 2013 में बाढ़ आई थी। इनमें से सितंबर 1978 की बाढ़ ने दिल्ली के लोगों को रुला दिया था। 4 सितंबर को चार यमुना पुल (पुराना रेलवे पुल, वजीराबाद पुल, इनकम टैक्स ऑफिस के पास का पुल और ओखला ब्रिज) 48 घंटे के लिए यातायात के लिए बंद कर दिए गए थे। उत्तरी दिल्ली के 30 गांव जलमग्न हो गए। जीटी रोड से करनाल की ओर जाने वाली सड़क का एक बड़ा हिस्सा यमुना के पानी में डूब गया।

दिल्ली में ‘ओल्ड आयरन ब्रिज’ के नाम से मशहूर इस पुल ने डेढ़ सदी में इतनी बाढ़ देखी है कि इसे यमुना नदी में पानी के खतरे के स्तर को मापने के लिए एक संदर्भ बिंदु माना जाता है। यह नदी कुछ हफ्तों से उफान पर है। 12 जुलाई को इसके जलस्तर ने 1978 में बने 207।49 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया और दिल्ली के कई महत्वपूर्ण हिस्से जलमग्न हो गये। जलस्तर बढ़ने के कारण भारतीय रेलवे की जीवन रेखा माने जाने वाले इस ऐतिहासिक पुल को यातायात के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया।

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