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सिंघु बॉर्डर से किसानों का ऐलान, कृषि कानूनों के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ेंगे

चंडीगढ़ः कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसान केंद्र सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। किसानों ने दो टूक कहा कि कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए वे अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने ऐलान किया कि यदि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो वे 19 दिसम्बर को श्री गुरु तेगबहादुर जी के शहीदी दिवस पर अनशन पर बैठेंगे और तब तक अनशन पर बैठे रहेंगे तब तक उनके शरीर में सांस रहेगी। चढूनी ने कहा कि वे अनशन की शुरूआत खुद से करेंगे, क्योंकि वे किसान आंदोलन की अगुवानी कर रहे हैं। यदि उन्हें कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए कुर्बानी देनी पड़ी तो वे इससे भी पीछे नहीं हटेंगे।

चढूनी ने यह भी कहा कि किसानों का जनता को परेशान करने का कोई मकसद नहीं है, लेकिन वे भाजपा नेताओं को गांवों में घुसने नहीं देंगे। उनका जगह-जगह बहिष्कार किया जाएगा। केंद्र सरकार कानूनों को वापस न लेने की जिद पर अड़ी हुई है। केंद्र सरकार की सद्बुद्धि के लिए गुरुद्वारों में अरदास हो रही है ताकि वह अपनी जिद छोड़कर किसानों के हितों की बात सुने।

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उन्होंने कहा कि किसान 27 नवम्बर से दिल्ली की सीमा पर मोर्चाबंदी करके बैठे हुए हैं और तब तक बैठें रहेंगे, जब तक केंद्र सरकार कानूनों को वापस नहीं लेती है। चाहे आंदोलन एक महीना चले या फिर छह महीने, किसान मजबूत इरादों के साथ दिल्ली आए हैं। किसान आखिरी सांस तक लड़ेंगे या तो उनकी लाश वापस जाएगी या फिर कृषि कानून वापस होंगे। जब तक केंद्र सरकार नहीं मानती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा, चाहे कितना ही समय क्यों न लगे।