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क्या उद्देश्य पूर्ति में सफल हो पाएगा शक्ति कानून 

Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray speaks during a virtual meeting with Prime Minister Narendra Modi

मुंबईः युक्ति, भक्ति और शक्ति ये तीन शब्द ऐसे हैं, जो हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं। महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार ने विगत 9 दिसंबर, 2020 को मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया कि बलात्कार करने वाले को फांसी की सजा देने का प्रवधान वाले शक्ति कानून को मान्यता प्रदान कर दी गई। महिला तथा बाल कल्याण पर होने वाले हर अत्याचार पर स्थायी रोक लगाने के लिए शुरु होने वाले इस शक्ति कानून को जिस उद्देश्य शुरू करने का लभ्य महाराष्ट्र सरकार ने रखा है, क्या वह उद्देश्य पूरा होगा, यह सवाल अभी से उठाया जाने लगा है। आगामी विधानसभा सत्र में इसे पारित किए जाने की संभावना जातायी जा रही है। मुंबई उच्च न्यायालय ने पिछले दिनों बलात्कार के एक आरोपी की सजा तीन साल से बढ़ाकर सात साल इसलिए कर दी कि बलात्कार एक घृणित कर्म है।

महिला तथा बच्चों पर अत्याचार पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार ने बलात्कार, एसिड हमला तथा बच्चों पर किए जाने वाले गंभीर मामलों में मृत्युदंड देने संबंधी कानून को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मान्यता प्रदान कर दी। 14 तथा 15 से शुरु होने वाले राज्य विधानसभा के शीतकालीन अधिवेशन में इसके संबंध में विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा। भारतीय संविधान की धारा 376 के अंतर्गत बलात्कार के अपराध के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसी तरह सामूहिक बालात्कार के लिए 376 डीसी के तहत भी आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान था, लेकिन जिस शक्ति कानून को अमल में लाने की बात की जा रही है, उसमें अब बलात्कार करने वालों फांसी सी सजा की जाएगी।

बलात्कार के मामले में 15 दिनों में आरोप-पत्र दाखिल किया जाएगा। अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक की अनुमति से आरोप-पत्र दाखिल करने की कालावधि में पांच दिनों की वृद्धि की जा सकती है, यानि 20 दिनों में आरोप-पत्र दाखिल किया जाना जरूरी है। इसके लिए फौजदारी आचार संहिता की धारा 173 के तहत सुधार का प्रस्ताव भी दिया गया है। आंध्र प्रदेश सरकार के दिशा की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार ने शक्ति कानून को अमल में लाने की तैयारी की है। शक्ति कानून तथा उसको अमल में लाने संबंधी कानून राज्य सरकार की ओर से अमल में लाया जाने की तैयारी शुरु कर दी गई है। गृहमंत्री अमिल देशमुख के नेतृत्व वाले एक दल ने आध्रप्रदेश में जाकर दिशा कानून का अध्ययन किया।

सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की एक उपसमिति की स्थापना की गई। इसी तरह महाराष्ट्र की कानून का मसौदा तैयार करने के लिए वरिष्ठ आई पीएस अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इस कानून के मुताबिक महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध करने वाले आरोपियों के खिलाफ 21 दिनों में कार्रवाई पूरी होगी, इसकी जांच 15 दिन में पूरा करने का नियम है। साथ ही इसमें फांसी का भी प्रावधान रखा गया है।

14 और 15 दिसंबर को दो दिवसीय विधानसभा का सत्र होने वाला है। इसी सत्र में शक्ति विधेयक को पेश किया जाएगा। विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इस विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद इस कानून को लागू कर दिया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार यह विधेयक लेकर आई है। महिलाओं या बालिकाओं पर अत्याचार की स्थिति में 15 दिनों के अंदर मामले की जांच, 30 दिनों के भीतर ट्राएल खत्म कर उसका जजमेंट आ जाएगा ताकि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके। इसमें मृत्यु दंड की भी प्रस्तावना है। महाराष्ट्र में इस कानून की नींव यूपी में हाथरस की घटना के बाद ही रख दी गई थी, उस वक्त अनिल देशमुख ने कहा था कि महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हो रहे अत्याचार-अपराध को रोकने के लिए एक सख्त कानून की जरूरत है, इसके बाद आंध्रप्रदेश के दिशा कानून की तर्ज पर शक्ति कानून लाने की तैयारी शुरू की गई। महाराष्ट्र सरकार ने इसका मसौदा तैयार कर विधेयक को मंजूरी दे दी है। केंद्र से मंजूरी मिलते ही यह कानून लागू हो जाएगा। इस कानून के अंतर्गत ऐसी व्यवस्था की गई है कि आरोपी के खिलाफ 15 दिन में जांच पूरी कर ली जाए, ऐसे अपराधों में अक्सर देखा जाता है कि जांच की प्रक्रिया लंबे दिनों तक चलती है और जब तक फैसला आता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है, ऐसी स्थिति में न्याय का प्रभाव बहुत ज्यादा असरदार नहीं माना जाता।

आरोपियों को जल्द सजा मिलने से गुनहगारों में ऐसे अपराधों के प्रति डर का माहौल बनेगा और वे किसी आपराधिक घटना को अंजाम देने से पहले कई बार सोचेंगे। विधेयक में ऐसा प्रावधान है कि कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद 45 दिन में फाइल पूरी कर ली जाए, पहले इसकी अवधि 6 महीने थी। समाज के माध्यम से महिलाओं को धमकाने तथा उनकी बदनामी करना, इस कानून का मुख्य मुद्दा है। विनय भंग तथा एसिड हमले की शिकार महिला या बालिका पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। महिला और बच्चों पर होने वाले अत्याचार को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार की इस पहल की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है। इस कानून के तहत 21 दिनों के अंदर महिला और बच्चों पर होने वाले अत्याचार पर कारवाई की जाएगी।

महाराष्ट्र सरकार ने इस कानून का नाम स्पेशल कोर्ट एंड मशीनरी फोर द इम्पलेमेंटेशन ऑफ शक्ति एक्ट 2020 रखा है, इसके तहत प्रदेश के हर जिले में स्पेशल कोर्ट और पुलिस टीम का गठन किया जाएगा। शक्ति कानून पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद महाराष्ट्र सरकार को उम्मीद है कि केंद्र से भी इसका रास्ता जल्दी प्रशस्त हो जाएगा। लेकिन शक्ति कानून के बारे में यह कहा जा रहा है कि अगर वास्तव में महिला तथा युवतियों पर होने अत्याचारों को रोकना है तो इसे कड़ाई से अमल में लाना होगा।

 घटना घटित होते ही तुरंत पुलिस एक्शन में आए और कार्रवाई का पहला चरण वहीं पूरा कर लिया जाए। सोशल मीडिया सहित संचार के किसी भी माध्यम द्वारा किसी महिला के साथ किया गया दुर्व्यवहार या शोषण के लिए 2 साल की सजा का प्रावधान है और एक लाख रुपये का जुर्माना, यहां तक कि सरकारी कर्मचारी अगर जांच में सहयोग नहीं करता, तो उसके लिए भी 6 महीने की सजा का प्रावधान है, जिसे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। आईपीसी की धारा 354 में सेक्शन 'E' को जोड़ा जाएगा, जिसके अंतर्गत सोशल मीडिया, टेलीफोन या अन्य डिजिटल माध्यम के द्वारा प्रताड़ना, आपत्तिजनक टिप्पणी और धमकी के मामलों में केस दर्ज किया जाएगा।

शक्ति क़ानून पर कैबिनेट की मुहर लगाने के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने कहा कि महा विकास अघाड़ी की सरकार केवल बोलती नहीं, कर के भी दिखाती है। उन्होंने इस क़ानून को महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कानून बताया है। महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने महिला अत्याचार के खिलाफ आंध्र प्रदेश के ‘दिशा’ कानून की तर्ज पर ‘शक्ति’ कानून बनाने का मसौदा तैयार किया है। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शक्ति कानून के मसौदे को मंजूरी दी गई।आगामी 14 और 15 दिसंबर को होने वाले दो दिवसीय विधानमंडल सत्र में शक्ति कानून संबंधी विधेयक पेश किया जाएगा। विधानमंडल के दोनों सदनों की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा।

राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने उत्तर प्रदेश में हाथरस की घटना के बाद ही दिशा कानून की तर्ज पर कठोर कानून बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने बुधवार को कहा कि महिला अत्याचार रोकने के लिए राज्य में एक सशक्त कानून की आवश्यकता है। इसके मद्देनजर आंध्र प्रदेश के दिशा कानून की तर्ज पर महाराष्ट्र में शक्ति कानून बनाने के मसौदे को मंजूर किया गया है। आगामी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में इसे कानूनी जामा पहनाया जाएगा। उसके बाद केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस कानून के तहत कम से कम महिला पुलिस अधिकारी के समावेश वाले विशेष पुलिस दल का निर्माण करना ज्यादा जरूरी है। समय के साथ-साथ कानून में सुधार तथा नई बातों का समावेश करना जरूरी होता है, इस दृष्टि से नए कानून का स्वागत करना जरुरी है। महिला तथा बाल अपराध रोकने के लिए कठोर कानून को अमल में लाना जरूरी है, लेकिन सिर्फ कानून बनाने से महिलाओं तक बालिकाओं पर होने वाले अपराध को रोक पना संङव नहीं होगा। भाजपा नेता नीतेश राणे ने ट्वीट के जरिए शक्ति कानून का स्वागत किया है। नीतेश राणे ने अपनी ट्विट में यह भी कहा है कि महाराष्ट्र सरकार शक्ती नामक कानून ला रही है, यह सुनकर बहुत आंद हुआ है।

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 कानून का नाम 'दिशा' की शक्ति किया गया है। इस कानून के तहत कार्रवाई करते समय कुठ चुने हुए प्रकरणों पर विचार नहीं जाएगा, ऐसी आशंका भी व्यक्त की जा रही है। राणे का कहना है कि हर आपराधिक मामले को समान न्याय दिया जाना चाहिए, अगर किसी मामले में किसी युवा मंत्री के शामिल होने की आशंका हो तो उससे भी पूछताछ होनी चाहिए। आरोपी अगर किसी नेता या चर्चित व्यक्ति का पुत्र या पुत्री हो तो भी उसके साथ समान बर्ताव होना चाहिए। सरकार की ओर से महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए जो शक्ति कानून बनाने की वकालत राज्य सरकार की ओर से की जा रही है, उसके अमल में आने के बाद ही सही तौर पर कहा जा सकेगा कि इस कानून से वास्तव में महिलाओं तथा बालिकाओं की सुरक्षा हुई है।

भारत में हर नारी को शक्ति की संज्ञा दी गई है और एक कानून के रूप मे सामने आने वाले शक्ति के बल पर महाराष्ट्र की हर बेटी सुरक्षित होगी, वह सम्मान के साथ जी सकेगी, इन्हीं आशाओं के साथ महाराष्ट्र की हर महिला शक्ति कानून की बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही है और कह रही है कि शक्ति तुम हम सबकी शक्ति हो, तुम हमें शक्ति दो, सामर्थ्य दो ताकि समाज में अलग-अलग शक्ल में घूम रहे भेडियों से पूरा नारी समाज बचा रहे, उसका सम्मान बचा रहे और बह कहें कि हमें तो आज कोयल जैसी मधुर आवाज में कोई सुराला गीत गाने का मन हो रहा है।  

सुधीर जोशी (महाराष्ट्र)