जम्मू: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद प्रदेश के फल उत्पादकों को काफी हद तक लाभ पहुंचा है। जम्मू-कश्मीर के जाने-माने व्यवसायी इरफ़ान हुसैन (45) ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके पिता और दो चाचा कटाई के मौसम में कश्मीर घाटी में अपने बागों में कई दिन बिताते थे। इसके बाद उत्पादों को घाटी से बाहर उनके गंतव्य तक पहुंचाने की लंबी और थकाऊ प्रक्रिया शुरू हो जाती थी।
इरफान को पारिवारिक व्यवसाय विरासत में मिला है। इरफान ने बताया कि मुख्य चुनौती कटाई के बाद शुरू होती थी, क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला में कुछ प्रभावी बिचौलियों का वर्चस्व था, जो यह तय करते थे कि शिपमेंट कब और कहां पहुंचाया जाएगा। इरफ़ान जैसे व्यापारियों की सबसे बड़ी शिकायतों में से एक घाटी से फल भेजने की पूरी प्रक्रिया में बिचौलियों का भारी वर्चस्व था जो न केवल व्यापारियों के मुनाफे का एक हिस्सा खा जाते थे बल्कि एक सामान्य आपूर्ति श्रृंखला को भी बाधित करते थे।
उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाने की घोषणा की तो उनके जैसे फल व्यापारियों को डर था कि इससे उत्पादकों का नेटवर्क और गहरा होगा, जिससे व्यापारियों को उनके मुनाफे से वंचित किया जाएगा और पूरी आपूर्ति श्रृंखला को बड़े पैमाने पर बाधित किया जाएगा। इरफान ने कहा कि हम बेहद खुश हैं कि हमारा ऐसा सोचना गलत साबित हुआ।
अनुच्छेद-370 के निष्प्रभावी होने के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने घोषणा की कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और कृषि मंत्रालय खरीद प्रक्रिया की निगरानी करेगा, जिसमें केंद्र जम्मू-कश्मीर में सेब उत्पादकों से सीधे सेब खरीदेगा। एक अधिसूचना में केंद्र सरकार ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सेब उत्पादक के बैंक खाते में सीधे भुगतान सुनिश्चित करेगी। इसमें आगे कहा गया है कि सभी श्रेणियों के सेब-ए, बी और सी जम्मू एवं कश्मीर में सेब उत्पादक जिलों के साथ-साथ सोपोर, शोपियां और श्रीनगर में नामित मंडियों से खरीदे जाएंगे।
वहीं पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए राज्य द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (एनएएफईडी) को क्षेत्र में फल उत्पादकों की उपज की खरीद प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए शामिल किया गया है। नेफेड केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में उत्पादित 60 प्रतिशत सेबों की खरीद करेगा। आतंकियों द्वारा सेब उत्पादकों को बाजार में अपनी उपज नहीं बेचने की धमकी देने के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण हो गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार नेफेड एक विशेष बाजार हस्तक्षेप मूल्य योजना (एमआईएसपी) के तहत ए, बी और सी ग्रेड सेब की खरीद करेगा और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से सीधे उत्पादकों के बैंक खातों में 48 घंटे के भीतर भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सेब और ड्राई फ्रूट्स व्यापारियों की मदद के लिए अतिरिक्त 8,000 करोड़ रुपये देगी, जिसमें 2000 करोड रुपये किसानों से सीधे सेब की खरीद के लिए शामिल हैं। इस कदम का उद्देश्य व्यापारिक समुदाय को सकारात्मक संकेत देना है, जो इस क्षेत्र को अनुच्छेद-370 के निष्प्रभावी होने के बाद निवेश के लिए एक आदर्श स्थान के रूप में प्रदर्शित करना है।
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इरफान और क्षेत्र के अन्य व्यापारियों को राहत मिली है कि केंद्र के हस्तक्षेप और अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाने के बाद उठाए गए सक्रिय उपायों से आपूर्ति श्रृंखला पर राष्ट्र विरोधी तत्वों की पकड़ काफी कम हो गई है। इरफ़ान का मानना है कि जबर्दस्त विकास और परिवर्तन को देखने के बाद क्षेत्र के छोटे-छोटे गांवों और कस्बों में लोगों को अनुच्छेद-370 की समाप्ति के बाद अंततः अपनी प्रारंभिक शंकाओं की निरर्थकता का एहसास हो गया है।