भारत जैसे विशाल देश में हर दिन कोई न कोई घटना होती रहती है, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी घटना हो जाती है जो लंबे समय याद रखी जाती है, कुछ इसी तरह की घटना महाराष्ट्र के भंडारा जिले के जिला सामान्य अस्पताल में विगत 9 जनवरी को हुई। इस ह्दय विदारक घटना में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई, इसमें सात लकड़ियां और तीन लड़के थे।
जिला सामान्य अस्पताल के विशेष नवजात अतिदक्षता कक्ष से 9 जनवरी को सूर्योदय होने से कुछ घंटे पहले छुआं निकलता देख गया। जब अस्पताल के स्टॉफ ने इस विभाग का दरवाजा खोला। उस वक्त अस्पताल में जो नर्स कार्यरत थी, उसका नाम प्रशासन ने बताने से साफ इंकार कर दिया है। इस घटना के बाद जब चिकित्साधिकारी तथा दमकल विभाग के जवान घटनास्थल पर पहुंचे तो अतिदक्षता विभाग के विशेष नवजात कक्ष के दरवाज को तोड़कर बच्चों को बाहर लया गया।
जिला सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। इस घटना के बाद जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी के अलावा महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उप मुख्यमंत्री अजित पवार, गृह मंत्री अनिल देशमुख, विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले, विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, पालक मंत्री विश्वजीत कदम, पुनर्वास तथा मदद कार्य मंत्री विजय विडेट्टीवार जैसे नेताओं ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि इस घटना ने जिला सामान्य अस्पताल की लापरवाही का जीवंत उदाहरण पेश किया है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस घटना के बाद अपने शोक संवेदना में कहा कि घटना में जिन बच्चों ने प्राण गंवाए हैं, मैं उनके परिवार के दुख में भी शामिल हूं। केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि मैं घटना में मारे गए सभी नवजात बच्चों के परिजनों के दुख को समझता हूं तथा मैं उनक दुख में सहभागी हूं। घटना के बाद जांच के आदेश देने की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई है। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने घटना के उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटना के बारे जो दृश्य सामने आए हैं, उनमें अस्पताल प्रशासन बचाव का हर तरीका अपना रहा है। सरकार में शामिल मंत्रियों के घटनास्थल पर जाने तथा जिन परिवारों के बच्चे मारे गए हैं, उनके परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना देने का सिलसिला ही चल निकला है।
जिला अस्पताल प्रशासन की कुंभकर्णी नींद के कारण अपनी जान गंवाने वाले बच्चे न तो वापस आएंगे और न ही उन बच्चों की मां को अपना नवजात बच्चा मिल पाएगा। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले, विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस सभी ने घटना में मारे गए बच्चों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात करके उन्हें सातंवना दी। भंडारा तहसील के भोजपुर की गीता बेहरे की नवजात बालिका की भी अग्निकांड में मारी गई थी। विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे तथा पालक मंत्री विश्वजीत कदम ने घटना के दिन में ही भोजपुर जाकर नवजात बच्ची के माता-पिता विश्वनाथ बेहरे तथा गीता बेहरे से मुलाकात करके उन्हें सांत्वना दी। इस दौरान सभी नेताओं ने बेहरे परिवार को यह भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ है।
नाना पटोले ने इस दौरान कहा कि प्रशासन की ओर से पीडित परिवारों को हर संभव मदद की जाएगी। पहले कहा जा रहा था कि शार्ट सर्किट के कारण आग लगी, अब कहा जा रहा है कि मानवीय गड़बड़ी के कारण उक्त 10 बच्चों की जान गई है। चाहे मुख्यमंत्री हों या केंद्रीय मंत्री, चाहे राज्य सरकार में शामिल विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता सभी के सूर तो एक ही हैं। सभी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं, लेकिन क्या नेताओं के इस जमघट से भुक्तभोगी परिवार को न्याय मिल जाएगा। पटोले तो भंडारा जिले के रावणवाडी क्षेत्र के वंदना सिडाम तथा श्रीनगर पहेला में रहने वाली योगिता धुलसे के घर भी गए और परिवार के लोगों को सांत्वना दी।
एक ही साथ दस बच्चों की मौत किसी जिला अस्पताल में होना कम दुर्भाग्य घटना नहीं है। जिला अस्पताल में दम घुटने से मारे गए नवजात बच्चों में भोजापुर टोली के सोनझरी बस्ती में रहने वाली गीता बेहरे की दो माह की बच्ची की मौत आग की लपटों के कारण हुई। इस बच्ची का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा था और डॉक्टरों के अनुसार बच्ची जल्दी ही ठीक भी होने वाली थी। कम वजन होने के कारण गीता की नवजात बच्ची को अस्पताल के नवजात केयर यूनिट में रखा गया था। बच्ची का नाम उसके माता-पिता रखने के बारे में अभी सोच रहे थे कि 9 जनवरी की आग ने दो माह की बिना नाम मिले ही इस संसार से उठा लिया। बच्ची की मां बच्ची को दूध पिलाने के लिए हर दिन अस्पताल में आती थी।
गीता बेहरे ने अपनी जिस बच्ची को खोया है, वह उसकी एकलौती बच्ची थी, उस बच्ची की इस तरह से हुई दर्दनाक मौत ने पूरे गांव में मरघट जैसा सन्नाटा फैल गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति साकोली तहसील के उसगांव में भी बनी हुई है। यहां के निवासी हीराराल भानारकर की कुछ दिनों की बच्ची की भी अस्पताल में हुए अग्निकांड में मौत हुई है। श्रीनगर पहेला गांव की योगिता घुलसे ने भी अपनी बच्ची को इस दर्दनाक घटना में खोया है। इसी तरह जांब तहसील के मोहाडी गांव की प्रियंका बसेशंकर की बच्ची के साथ-साथ गोंदिया जिले के मोरगांव अर्जुनी निवासी सुषमा पंढरी भंडारी की बेटी, टाकला गांव की निवासिनी दुर्गा रहांगडाले की नवजात बेटी, उसरला की सुकेशिनी आगरे की बेटी, सितेसारा आलेसूर क्षेत्र में रहने वाली कविता कुंभारे की बेटी, रावणवाडी की वंदना सिडाम की बेटी भी अस्पताल में हुई घटना में मारी गई है।
भंडारा जिला सामान्य अस्पताल में नागपुर जिले से साथ-साथ छत्तीसगड़, मध्यप्रदेश के मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं। भंडारा जिला सामान्य अस्पताल के अंतर्गत एक जिला अस्पताल, दो उप जिला अस्पताल तथा सात ग्रामीण अस्पताल आते हैं। इन सभी अस्पतालों को मिलाकर 927 पद स्वीकृत हैं, इन स्वीकृत पदों में से 610 पदों पर भर्ती की गई है, जबकि 317 पद अभी रिक्त हैं, इनमें चिकित्साधिकारी 107 पद मंजूर हैं, जिनमें से 29 पद रिक्त हैं। अधिपरिचारिका के 237 मंजूर पदों में से 67 पद रिक्त हैं। बाल परिचारिका के तीन स्थायी पद मंजूर होने के बावजूद तीनों पर रिक्त हैं। अतिदक्षता विभाग में 24 घंटे एक डॉक्टर तथा हर नवजात बच्चे के लिए एक नर्स होना नियमानुसार जरूरी है, लेकिन भंडारा जिला सामान्य अस्पताल में इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ायी जा रही थी।
जिस दिन 10 बच्चों के दम घुटने से मरने की खबर सामने आई, उस दिन भंडारा जिला सामान्य अस्पताल के विशेष नवजात अतिदक्षता कक्ष में 17 नवजात बच्चों की देखरेख के लिए एक भी डॉक्टर का न होना किसी आश्चर्य से कम नहीं माना जा रहा। केवल एक ही नर्स 17 नवजात बच्चों पर ध्यान रखे हुए थी। 17 नवजात बच्चे और एक नर्स यानि जिला अस्पताल प्रशासन ने नियमों की अवहेलना की है, इस बात का खुलासा हो गया है। दर्जन भर मंत्रियों के भंडारा आगमन ने 10 बच्चों की मौत की घटना की गंभीरता को समझ में आती है, लेकिन जिन नेताओं ने इस ह्दय विदारक घटना के बाद भंडारा जिले का दौरा किया क्या वे वास्तव में उन परिवारों से दुख से वास्ता रखते हैं, जिन दुखों को उन्होंने घटना के बाद आजीवन अपने मन में संजोकर रखा हुआ है। क्या नेताओं की यह मंडली सचमुच दोषियों को सजा दिलाएगी तथा मुख्यमंत्री के भंडारा आगमन पर दिया गया बयान सत्य सामने आएगा, सच हो पाएगा।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री अनिल देशमुख समेत अन्य नेताओं की बयानबाजी और घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश तो दे दिए गए हैं, लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच कब शुरु होती है ओर इससे कितना सच बाहर आता है। आने वाले दिनों में यह भी संभव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राकांपा सुप्रिमो शरद पवार भी भंडारा के दौरे पर आएं, ऐसे में इस बात से इस इंकार नहीं किया जा सकता कि दस बच्चों के करुण अंत की कहानी में भी राजनीतिक रोटी जरूर सेकी जाएगी।
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अगर मामले को राजनीति के चश्मे से देखा जाएगा तो पूरा सच कभी बाहर नहीं आएगा। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले का पूरा सच जिस तरह से सामने नहीं आ सका है, कुछ वैसी ही स्थिति तो भंडारा जिला सामान्य अस्तपाल में 9 जनवरी को हुई घटना के बारे में तो नहीं होगी, ऐसी आशंका अभी से जतायी जाने लगी है। मौत, मातम के बीच नेताओं-मंत्रियों के जमावड़े से जिनक बच्चों के जान गंवाई है, क्या उसके बाद भी जिला सामान्य अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर ब्रेक लगेगा, ऐसा सवाल भी भंडारावासी उठा रहे हैं। अब देखना है कि मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष द्वारा किया गया आश्वासन कितना सच हो पता है और कितना नहीं।
सुधीर जोशी (महाराष्ट्र)