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बकरीद पर कोरोना का कहर ! ग्राहक ढूंढ रहे बिक्रेता, आधे से भी कम दाम पर बिक रहे बकरे

नई दिल्लीः बाजार इस बार हल्का है। आज सुबह ही कासगंज से दिल्ली तीन बकरे बेचने के लिए यहां पहुंचे हैं। ग्राहक इन बकरों के 1 लाख 40 हजार रुपए दे रहे हैं जबकि हम तीनों के 3 लाख रुपये मांग रहे हैं। जामा मस्जिद के बाहर ग्राहकों को ढूंढ रहे बकरा व्यापारी जसवंत ने ये बात कही। जसवंत ही अकेले बकरा व्यापारी नहीं जो मनचाहे दाम मिल जाने की उम्मीद में जामा मस्जिद के बाहर खड़े है । इनके अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बकरा व्यापारी बकरीद के चलते बिजनेस करने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं।

कोरोना महामारी के चलते बकरीद त्यौहार लगातार दूसरे साल भी फीका रहने के आसार हैं। महामारी का असर बकरा बिक्रेता और ग्राहक दोनों पर दिख रहा है। हर साल दिल्ली की जामा मस्जिद के बाहर उर्दू पार्क में लगने वाली बकरों की मंडी पर ग्राहक और बिक्रेता के बीच मनमानी दामों को लेकर बात बनती-बिगड़ती नजर आ रही है। कोरोना महामारी के कारण एक तरफ लोगों की जेब हल्की हो गई है तो दूसरी ओर बिक्रेताओं की ओर से बकरे के दाम भी पहले के मुकाबले ज्यादा बताए जा रहे हैं। जामा मस्जिद के बहार बकरा व्यापारी सड़कों पर ही ग्राहक ढूंढ़ रहे हैं, लेकिन इस बार ग्राहक अपनी जेब के अनुसार बकरे खरीद रहें हैं।

दिल्ली निवासी सलीम ने बताया, महामारी का बहुत असर है। लोगों के पास पैसा नहीं है। एक तो इस बार बाजार में बकरे कम है दूसरा बकरों की कमी होने के चलते बकरों के दाम भी बिक्रेता बढ़ा-चढ़ा कर बोल रहे हैं। देश भर में 21 जुलाई को बकरीद मनाई जाएगी। जामा मस्जिद के बाहर उर्दू पार्क में महामारी से पहले एक लाख बकरे बिकने आते थे। लेकिन दूसरी साल लगातार बार बकरा मंडी न के बराबर लगी हुई है।

यूपी के शामली जिले से आये बकरा कारोबारी अफजल ने कहा, करीब 70 बकरे लेकर दिल्ली आया हूं। इनमें से अभी तक 10 बकरे ही बिके हैं। जितने बिकने है वह आज ही के दिन बिकेंगे । इसके अलावा उम्मीद कम है। इस साल ग्राहक भी सस्ता बकरा ढूंढ रहें हैं। अमरोहा निवासी मोहम्मद कमर हर साल जामा मस्जिद बकरा बेचने आते हैं । उनके अनुसार, अभी तक तो ठीक से बाजार लग रहा है। दिन में गर्मी होने के कारण ग्राहक कम है, लेकिन रात तक उम्मीद है कि सारे बकरे बिक जाएंगे।

दिल्ली की जामा मस्जिद में हर साल विक्रेता दूसरे राज्यों से भी कुबार्नी के लिए बकरे मंगाते थे। राजस्थान, उत्तर प्रदेश के बरेली, बदायूं, हरियाणा के मेवात से बकरे जामा मस्जिद के बाहर उर्दू पार्क में बिकने आते थे। लेकिन इस बार बकरे बाजार में उतर ही नहीं सके हैं, जिसके चलते इक्के-दुक्के बकरा व्यापारी बकरे बेच रहे हैं। यहां बिकने वाले बकरों की कीमत उनकी नस्ल के आधार पर तय होती है। तोता परी, दुम्बा आदि नस्लों में तोता परी बकरा मुंडा होता है । यानी इस बकरे के कान बड़े होते हैं, उनकी कीमत करीब 30 से 40 हजार रुपये होती है।

वहीं दुम्बा बकरा वजनी होता है । यह बड़ा और ऊंचा भी होता है। इसकी कीमत 70 हजार रुपये से शुरू होकर डेढ़ लाख रुपये तक पहुंच जाती है। लेकिन इस साल ग्राहकों की अनुपस्थिति के कारण इन कीमतों का कोई मतलब नहीं रह गया है। ईद के लिए बकरा खरीदने आए स्थानीय निवासी आमिर कहते हैं , यदि 2 लाख का बकरा भी बिकेगा तो भी खरीदेंगे, क्योंकि हमें तो कुर्बानी करनी है। फिलहाल दो दिन बचे हुए है और हम बाजार का सर्वे कर रहे हैं।

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बिक्रेताओं का कहना है कि इस साल खरीददार तो है, लेकिन सस्ता बकरा ढूंढ रहे हैं क्योंकि लोगों की जेब पर इस बार काफी असर पड़ा है। जो शख्स हर साल चार बकरे कुबार्नी करता था, वह इस साल एक ही बकरे की कुर्बानी कर रहा है। स्थिति इतनी खराब है कि दिन भर इंतजार करने के बावजूद विक्रेताओं को बकरों के खरीददार नहीं मिल रहे हैं। मुस्लिम धर्म में दो मुख्य त्योहार मनाए जाते हैं -ईद-उल-अजहा और ईद-उल फितर। ईद-उल-अजहा बकरीद को कहा जाता है। मुसलमान यह त्योहार कुबार्नी के पर्व के तौर पर मनाते हैं। इस्लाम में इस पर्व का विशेष महत्व है, लेकिन कोरोनावायरस के कारण यह त्योहार इस बार फीका दिखाई दे रहा है।