राजनीति हिमाचल प्रदेश

कांग्रेस नेता बोले- आपदा में केंद्र से नहीं मिला एक धेला, हमने दिया मुआवजा

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शिमलाः तकनीकी शिक्षा एवं नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने गुरुवार को भाजपा नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि पिछले साल हिमाचल प्रदेश में आई भीषण आपदा में भाजपा का योगदान शून्य था। धर्माणी ने कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रभावित लोगों को विशेष राहत पैकेज के नाम पर एक भी पैसा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से प्रभावित लोगों को 4500 करोड़ रुपये का पैकेज प्रदान किया, जिससे इस कठिन समय में उन्हें बड़ी राहत मिली।

बढ़ाई गई मुआवजा की राशि

उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार ने वर्षों से चले आ रहे राहत एवं पुनर्वास नियमों को बदल दिया, क्योंकि पुराने नियमों के अनुसार दी जाने वाली मुआवजा राशि बहुत कम थी। इस मामूली राहत से किसी भी आपदा प्रभावित व्यक्ति के लिए अपना घर दोबारा बनाना संभव नहीं है। लेकिन वर्तमान राज्य सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए मुआवजा राशि में ऐतिहासिक वृद्धि कर पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम की।

राजेश धर्माणी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से प्रदेश के लगभग 25,000 आपदा प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया है। राहत पैकेज के तहत मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने पर 1.30 लाख रुपये की सहायता राशि को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया। आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए मुआवजा राशि 6000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई।

जनता सब जानती है

तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस तरह का राहत पैकेज राज्य के इतिहास में पहली बार दिया गया है और यह किसी भी आपदा की स्थिति में प्रभावित लोगों को दिया गया सबसे उदार पैकेज है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने आपदा के दौरान केवल राजनीति की और राज्य में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के विधानसभा प्रस्ताव का समर्थन न करके आपदा प्रभावित लोगों के घावों पर नमक छिड़का।

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उन्होंने कहा कि आपदा की घड़ी में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू केंद्र से विशेष राहत पैकेज दिलाने के लिए बार-बार केंद्रीय मंत्रियों से मिलते रहे, जबकि भाजपा के तीनों सांसदों ने एक बार भी इस मुद्दे को संसद और प्रधानमंत्री के समक्ष नहीं उठाया। । उन्होंने कहा कि जिनका आपदा प्रभावित लोगों की मदद में कोई योगदान नहीं है, वे राज्य सरकार से सवाल पूछने के हकदार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता जानती है कि आपदा के दौरान कौन उनके साथ खड़ा था।

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