उत्तर प्रदेश राजनीति लोकसभा चुनाव 2024

लोकसभा चुनाव : भाकपा ने दिया इंडी गठबंधन को झटका, इन पांच सीटों पर उतारेगी प्रत्याशी

Communist Party fields candidates

बांदाः उत्तर प्रदेश में कम्युनिस्ट पार्टी ने बांदा समेत पांच लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। इससे इंडिया गठबंधन में एक और दरार पड़ती नजर आ रही है। इंडिया एलायंस और कम्युनिस्ट पार्टी का देशव्यापी गठबंधन है। उत्तर प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिलने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने यह कदम उठाया है। हालाँकि, कम्युनिस्ट पार्टी के पास अब पहले जैसा समर्थन आधार नहीं है।

यूपी में टूट सकता है गठबंधन !

इंडिया गठबंधन के घटक दल गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन होते-होते रह गया। इसके बाद पल्लवी पटेल ने भी तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया, जिससे पल्लवी की पार्टी अपना दल कमेरावादी का गठबंधन मुश्किल में पड़ गया। वहीं, जनाधिकार पार्टी भी इंडिया गठबंधन की वकालत कर रही है और कुछ सीटों की मांग कर रही है लेकिन अब तक मामला सुलझ नहीं सका है। इधर कम्युनिस्ट पार्टी ने भी नखरे दिखाने शुरू कर दिए हैं। जिसके चलते उत्तर प्रदेश में कम्युनिस्टों से गठबंधन टूट सकता है।

दो दिन पहले कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक चित्रकूट के रामनाथ रामकिशन धर्मशाला में हुई थी। इस बैठक में केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य और यूपी प्रभारी डॉ. गिरीश और प्रदेश सचिव अरविंद राज स्वरूप मौजूद रहे। इसी बैठक के दौरान पार्टी नेताओं ने बताया कि पार्टी साहित्यकार रामचन्द्र सरस को बांदा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारेगी। इसके अलावा वह शाहजहाँपुर, अयोध्या, लालगंज और घोसी की लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी और रॉबर्ट गंज के विधानसभा उपचुनाव में अन्य सीटों पर सपा कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करेगी।

सीट बंटवारे में नहीं ली गई राय

गठबंधन के बावजूद उत्तर प्रदेश की पांच सीटों पर कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवार उतारे जाने के कारणों के बारे में यूपी प्रभारी डॉ. गिरीश का कहना है कि उनकी पार्टी पूरे देश में भारत गठबंधन में है। इसके बाद भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आपस में बैठक कर सीटों का बंटवारा कर लिया। इसमें उनकी राय नहीं ली गयी, इसलिए हम राज्य की पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं। रामचंद्र सरस बांदा सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने इससे पहले 2014 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ा था। बाकी चार सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा जल्द ही की जाएगी।

आपको बता दें कि कभी बुंदेलखण्ड में अपनी अलग पहचान बनाने वाली कम्युनिस्ट पार्टी का अब पहले जैसा दबदबा नहीं रहा। अब पार्टी अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। 60 के दशक में कम्युनिस्ट पार्टी ने बांदा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था। सबसे पहले राम सजीवन ने चुनाव लड़ा लेकिन हार गये। इसके बाद 1967 में कम्युनिस्ट के जागेश्वर यादव ने चुनाव जीता और लाल झंडा लहराया। इसके बाद जनसंघ के उदय के साथ ही कांग्रेस और जनसंघ की लड़ाई में कम्युनिस्ट पीछे छूट गये। लेकिन 80 के दशक में कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार फिर वापसी की। 1984 में राम सजीवन फिर चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस की लहर के कारण चुनाव हार गये।

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अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कम्युनिस्ट पार्टी

1989 में हुए लोकसभा चुनाव में राम सजीवन ने जीत हासिल की। 1991 के राम मंदिर आंदोलन के कारण कम्युनिस्टों को हार का सामना करना पड़ा। 90 के दशक में राम सजीवन ने कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ दी और बीएसपी में शामिल हो गए, जिससे  कम्युनिस्ट पार्टी में नेताओं का अकाल पड़ गया। हालांकि, विधानसभा चुनाव में भी कम्युनिस्टों का दबदबा कायम रहा। बांदा-चित्रकूट की पांच लोकसभा सीटों, चित्रकूट, बबेरू और नरैनी में से कम्युनिस्ट पार्टी ने 1972, 1977, 1985 और 1989 में जीत हासिल की। लेकिन 90 के दशक के बाद कम्युनिस्ट अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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