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चार माह की उम्र में हुई शादी, 20 साल तक झेला बाल विवाह का दंश, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

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Child Marriage , जोधपुर: महज चार माह की उम्र में बाल विवाह की बेड़ियों में बंधी अनिता को सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती के सहयोग से करीब बीस साल तक दर्द झेलने के बाद आखिरकार बाल विवाह से मुक्ति मिल गई।

जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 के न्यायाधीश वरुण तलवार ने अनिता के बाल विवाह को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। वहीं, सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती के प्रयासों से संभवत: पहली बार बाल विवाह निरस्त के मामले में पारिवारिक न्यायालय ने बाल वधु को तथाकथित पति से मुकदमे का खर्च दिलवाकर अनूठी मिसाल पेश की।

21 वर्षीय अनिता का महज 4 माह की उम्र हुआ बाल विवाह

जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान परिवार की बेटी 21 वर्षीय अनिता का महज 4 माह की उम्र में विवाह कर दिया गया, जिसके बाद वह बाल विवाह का दर्द झेलती रही। ससुराल वाले लगातार उस पर गौना कराकर ससुराल भेजने का दबाव बना रहे थे। साथ ही उसे कई तरह से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष धमकियां भी मिल रही थीं। इसी बीच अनिता को जोधपुर के सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी और पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती द्वारा बाल विवाह निरस्त कराने के अभियान के बारे में पता चला।

अनिता ने डॉ. कृति से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बताई, जिसके बाद डॉ. कृति ने जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय क्रमांक 2 में अनिता के बाल विवाह को निरस्त कराने का मामला दर्ज कराया। डॉ. कृति भारती ने पारिवारिक न्यायालय में अनिता की ओर से पैरवी की और बाल विवाह और उम्र से जुड़े तथ्यों से उसे अवगत कराया, जिसके बाद पारिवारिक न्यायालय क्रमांक 2 के न्यायाधीश वरुण तलवार ने 20 साल पहले हुए अनिता के बाल विवाह को निरस्त कराने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जब वह महज 4 महीने की थी।

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डॉ. कृति के प्रयासों ने कायम की नई मिसाल

इसके साथ ही सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति के प्रयासों पर न्यायालय ने बाल वधू के तथाकथित पति से मुकदमा खर्च दिलाने का निर्णय देकर नई मिसाल कायम की। बाल विवाह के खिलाफ समाज को कड़ा संदेश देते हुए न्यायाधीश तलवार ने कहा कि बाल विवाह न केवल एक बुरी प्रथा है, बल्कि एक अपराध भी है। इससे बच्चों का भविष्य बर्बाद होता है। अगर लड़की या लड़का बाल विवाह जारी नहीं रखना चाहते हैं, तो उन्हें बाल विवाह को रद्द करने का अधिकार है। बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करने के लिए सामाजिक स्तर पर सार्थक प्रयासों की जरूरत है।

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