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जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी पर विवाद के बीच CM हेमंत सोरेन ने केंद्र को लिखा पत्र

Hemant-soren
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रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्यमंत्री ने जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पारसनाथ सम्मेद शिखर के संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना पर समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से कहा है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पौराणिक काल से जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है। इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी इस स्थान का तीर्थ करने आते हैं। झारखंड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है। पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए राज्य सरकार ने प्रतिबद्धता दिखाई है।

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क्षेत्र के विकास और शुचिता पर सरकार का ध्यान –

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस स्थल के समुचित विकास एवं इस क्षेत्र में व्यावसायिक क्रियाकलापों के विनियमन के लिए राज्य सरकार द्वारा सचिव, पर्यटन की अध्यक्षता में पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है, जिसमें छह गैर सरकारी निदेशकों को भी सदस्य बनाया जाना है। उक्त प्राधिकार में गैर सरकारी निदेशकों के चयन की कार्रवाई चल रही है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा उक्त स्थल की पवित्रता व शुचिता को बनाये रखने के लिए गिरिडीह जिला के जिलाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी किया गया है।

केंद्र सरकार की अधिसूचना पर हो विचार –

मुख्यमंत्री ने आग्रह किया है कि इस स्थल की पवित्रता व शुचिता बनाये रखने एवं केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना संख्या का.आ. 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस अधिसूचना के कंडिका 2.3 (VI) व कंडिका 3 3 ) में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख है, जिस पर जैन समुदाय को आपत्ति होने का उल्लेख प्राप्त आवेदनों में दर्ज है। इस अधिसूचना के क्रियान्वयन के निमित्त राज्य सरकार ने अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया है। इसलिए केंद्र इस पर विचार करे।

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