कोरोना की वजह से बच्चों की पढ़ाई में हुआ बड़ा नुकसान, भरपाई में जुटा यह राज्य

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रायपुरः कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा असर बच्चों पर डाला है, उनकी पढ़ाई के साथ बचपन पर भी असर आया है। इस महामारी के कारण पड़े असर को कम करने का स्कूल शिक्षा विभाग ने रोडमैप तैयार किया है। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने विविध नवाचारी शिक्षा मॉडल एवं गतिविधियों के माध्यम से बच्चों मे हुई लनिर्ंग लॉस को कम करने और निर्धारित उपलब्धि स्तर प्राप्त करने के लिए रोडमैप तैयार कर जमीनी स्तर पर साकार करने जुट गया है।

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स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बुनियादी शिक्षा और गणितीय कौशल विकास अंतर्गत कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को दक्ष बनाने के लिए सौ दिवसीय विशेष अभियान की शुरूआत किया गया है। इसके तहत शिक्षा गुणवत्ता में आवश्यक सुधार कसावट के साथ-साथ बेहतर विद्यालय प्रबंधन के लिए इस बार अकादमिक निरीक्षण के बेहतर क्रियान्वयन को भी प्रमुखता दिया जा रहा है। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.आलोक शुक्ला ने कोरोना काल में हुए लनिर्ंग लॉस को कम करने एवं निर्धारित उपलब्धि स्तर को प्राप्त करने के लिए नवाजतन और एससीईआरटी के द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न नवाचारी गतिविधियों को शत-प्रतिशत विद्यालय स्तर पर साकार करने निर्देश दिए हैं। डॉ.शुक्ला ने शत-प्रतिशत बच्चों का वास्तविक आंकलन करने को कहा है, जिससे बच्चों का आगामी समय में समग्र विकास हो सके।

आठ फरवरी से खुले स्कूल

ज्ञात हो कि कोरोना प्रभाव कम होने के कारण आठ फरवरी से स्कूल प्रारंभ कर दिए गए है। शाला प्रारम्भ होने के बाद शालाओं में कसावट लाने के उद्देश्य से सभी स्कूलों को सघन मॉनिटरिंग करने के निर्देश राज्य शासन से दिए गए है। इसके लिए छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 27 बिंदुओं का मूल्यांकन प्रपत्र तैयार किया गया है। जिसमें 100 अंकों के आधार पर सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों की मॉनिटरिंग सघनता पूर्वक राज्य से संकुल स्तर तक के अधिकारी सतत निरीक्षण करेंगे एवं निरीक्षण कर इसकी ऑनलाइन एंट्री भी की जाएगी।

इसी तरह बच्चों में भाषाई एवं गणितीय दक्षता विकसित करने के लिए 100 दिन का पठन एवं गणितीय कौशल विकास अभियान, पूरे राज्य में चल रहा है । रायगढ के जिला शिक्षा अधिकारी आर.पी.आदित्य ने बताया है कि अकादमिक मॉनिटरिंग के द्वारा विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाने यह एक सार्थक प्रयास है। इसके माध्यम से स्कूलों के निरीक्षण एवं प्रगति पर नजर रखने के लिए तथा विशेष रूप से विद्यार्थियों में शैक्षणिक गुणवत्ता एवं दक्षताओं के विकास को नजदीक से परखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

बताया गया है कि अकादमिक मॉनिटरिंग का उददेश्य विद्यालयों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना का विकास करना तथा बुनियादी और मूलभूत सुविधाओं का बेहतर सदुपयोग कराना है। अकादमिक मॉनिटरिंग सतत चलने वाली प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत शिक्षा के विविध आयमों का सजगतापूर्वक सफल क्रियान्वयन करना है। विद्यालय एवं विद्यालय विकास के लिए बेहतर वातावरण का निर्माण करने शिक्षकों, अभिवावकों में जागरूकता लाना है।

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