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Chhattisgarh: बस्तर में दियारी पर्व मनाने का सिलसिला शुरू, मवेशियों की होती है पूजा

Diyari festival begins in Bastar (Chhattisgarh): दिवाली और धान की कटाई के बाद बस्तर में दियारी त्योहार मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है। धान की फसल घरों तक पहुंचने के बाद, यह दियारी त्योहार हिंदू कैलेंडर के पूस महीने से माघ पूर्णिमा तक मनाया जाता है। दियारी मनाने का दिन गांव के पुजारी की अनुमति से ग्राम प्रधानों की बैठक में तय किया जाता है। इसमें मिट्टी की पूजा महत्वपूर्ण है और यह भोजन, पशुधन धोराई और चरवाहे पर केंद्रित है। यह त्यौहार पूरे सप्ताह अलग-अलग दिनों में अलग-अलग गांवों में मनाया जाता है। बस्तर के अधिकांश गांवों में इसका निर्णय मंगलवार, बुधवार और शुक्रवार को ही किया जाता है। हालाँकि अब धोराई की अनुपलब्धता के कारण दियारी त्योहार की परंपरा का ही निर्वहन किया जा रहा है, फिर भी कुछ गांवों में आज भी दियारी त्योहार पूरी परंपरा के साथ भव्य तरीके से मनाया जाता है। यह भी पढ़ें-CG Election 2023: वोटिंग में धमतरी अव्वल, रिकाॅर्ड 86.65 प्रतिशत हुआ मतदान

धूमधाम से मनाया जाता है दियारी तिहार

उल्लेखनीय है कि हरियाली, नवाखानी और दियारी त्यौहार बस्तर के प्रमुख त्यौहारों में से हैं। ग्रामीण अपने देवी-देवताओं की पूजा करके इन त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। दियारी त्योहार के निर्धारित पहले दिन रात में गाय-बैलों को जेठा में बांधा जाता है और दियारी के दिन मवेशियों को घर में बने पकछत्तीसगढ़, बस्तर में दियारी तिहार, बस्तर, जगदलपुर,वान और खिचड़ी खिलाई जाती है। ग्रामीण मवेशियों को खिलाने के बाद इसका सेवन करते हैं। दूसरे दिन गोधन मनाया जाता है, उस दिन पूरे गांव के लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं और पूजा करने के बाद मनोरंजन भी करते हैं। प्रत्येक घर से बैल के सींग पर कपड़ा बाँधकर ले जाया जाता है, जिसे धोबी निकालता है। इस दिन गांव में मेले जैसा माहौल रहता है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)