नई दिल्लीः केन्द्रीय वाणिज्य उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल को कन्फेडेरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) ने रविवार को एक पत्र लिखा है। पत्र में भारत में मौजूदा ई-कॉमर्स व्यापार को सुव्यवस्थित करने से संबंधित तीन सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत पहलुओं को लेकर बात की गई है। इनमें उपभोक्ता कानून के अंतर्गत ई कॉमर्स नियम, ई कॉमर्स नीति और ई कॉमर्स में एफडीआई नीति की ओर ध्यान देते हुए कहा है कि, यदि इनमें से किसी भी नियम में कोई ढील दी जाती है तो देश भर में यह माना जाएगा कि सरकार पर विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों का पूरा दबाव है।
कैट के मुताबिक, देश भर में व्यापारी विदेशी ई-कॉमर्स के हाथों पहले ही बहुत उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। व्यापारिक समुदाय कई वैश्विक ई-कॉमर्स दिग्गजों द्वारा कानूनों और नियमों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन और संबंधित एजेंसियों को उनके खिलाफ कार्यवाही करने में पूरी तरह से सरकार द्वारा अब तक कोई कदम न उठाये जाने से भी बेहद नाराज है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, यह अत्यंत खेद की बात है कि दो साल से अधिक समय से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कई बार पीयूष गोयल की सख्त और स्पष्ट चेतावनियों के बावजूद ई कॉमर्स कंपनियां ठीक सरकार की नाक के नीचे नियमों एवं कानूनों का खुला उल्लंघन कर रही हैं। इसने एक तरह से देश के ई कॉमर्स व्यापार में ‘माई वे या हाईवे’ जैसी स्थिति पैदा कर दी है।
कैट के अनुसार, कुछ लोगों तथा बेहद सीमित सरकारी एजेंसियों का यह कहना कि इन नियमों में किसी भी प्रकार की सख्ती किये जाने से भारत में विदेशी निवेश के प्रवेश की संभावनाएं खराब होंगी, जो बिल्कुल गलत है। ई-कॉमर्स के माध्यम से कोई भी एफडीआई भारत में प्रवेश नहीं कर रहा है, बल्कि एफडीआई की आड़ में आने वाले पैसे का इस्तेमाल ई कॉमर्स कंपनियां कैश बर्निंग या उनके द्वारा किये गए भारी नुकसान की भरपाई करने के लिए किया जाता है।
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उन्होंने आगे कहा, देश के घरेलू व्यापारियों को डिजिटल इंडिया के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के अनुसार ई-कॉमर्स को बड़े पैमाने पर अपनाने की सुविधा मिलनी चाहिए। यदि ई कॉमर्स को समान स्तर का व्यापार करने का मौका नहीं दिया जाता है तो देश के व्यापारियों को ई-कॉमर्स कंपनियों के जोड़-तोड़ और अनैतिक व्यवसाय प्रथाओं के कारण चरणबद्ध तरीके से अपने व्यवसाय को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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