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सड़क निर्माण में लगे मजदूरों के बच्चों को पढ़ाएगा बीआरओ, शुरू की कक्षाएं

नई दिल्लीः सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने उत्तराखंड में धारासू-गंगोत्री मार्ग पर विभिन्न सड़क निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों के बच्चों को शिक्षित करने की पहल शुरू की है ताकि जब उनके माता-पिता मजदूरी करने जाएं तो बच्चे समय बिताने के साथ-साथ पढ़-लिख भी सकें। बीआरओ के अधिकारी, पर्यवेक्षक और सड़क निर्माण की देखरेख करने वाले अभियंताओं ने मजदूरों के इन बच्चों के लिए तीन कक्षाएं शुरू की हैं। दुर्गम उच्च ऊंचाई वाले इलाके में इस समय करीब 70 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

अधिकारियों के मुताबिक कैजुअल पेड लेबर (सीपीएल) बीआरओ की रीढ़ हैं, क्योंकि वे रणनीतिक सीमा सड़कों के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए दुर्गम और कठिन इलाकों में काम करते हैं। वे लंबे समय तक अपने घरों से दूर रहते हैं और समाज से कट जाते हैं। इन इलाकों में काम करने वाले ज्यादातर झारखंड या नेपाल सीमा के पास रहने वाले हैं। इस पहल का उद्देश्य इन युवा और अक्सर उपेक्षित दिमागों को शिक्षित करके उनके साथ जुड़ना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनके माता-पिता उस संगठन से प्रोत्साहित और संतुष्ट हैं जिसके लिए वे काम करते हैं।

उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राजमार्ग पर इस समय सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। इस कार्य में लगे मजदूर और उनकी पत्नियां जब सड़क निर्माण में लग जाते हैं तो उनके बच्चे निर्माण स्थल पर खेलकूद करके समय बिताते थे। यह देखकर निर्माण कार्य की देखरेख में लगे कनिष्ठ अभियंता राहुल यादव और सूबेदार संदेश पवार ने मजूदरों के बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने का विचार रखा ताकि बच्चे समय बिताने के साथ-साथ पढ़-लिख भी सकें। बीआरओ के अधिकारियों ने इन बच्चों को कपड़े और राशन उपलब्ध कराने के लिए एक एनजीओ 'गूंज' की मदद ली है। क्षेत्र के झंगला, हिंडोलीगढ़ और नागा में 21 जुलाई से तीन शिविर लगाकर आउटडोर कक्षाएं शुरू की गईं हैं। मौजूदा समय में इन तीनों कक्षाओं 60-70 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए बीआरओ ने आने वाले महीनों में बच्चों को बुनियादी आवास और बेहतर शिक्षण सुविधाएं प्रदान करने की योजना बनाई है।

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