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Himachal Election: दिग्गज निर्दलीयों पर भाजपा व कांग्रेस की नजर, बागियों को साधने की होड़

भाजपा

शिमला: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हुई बंपर वोटिंग ने पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं। भाजपा जहां भारी मतदान को डबल इंजन सरकार के विकास से जोड़ रही है, तो कांग्रेस ने इसे सत्ता विरोधी लहर का नतीजा करार दिया है। खासकर भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों की हॉट सीटों पर भारी मतदान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। रिकार्डतोड़ वोटिंग से उलझे दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने दमदार निर्दलीय उम्मीदवारों को साधने की तैयारी शुरू कर दी है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्ण बहुमत न मिलने व गठजोड़ की सूरत में निर्दलीयों को पाले में लाने की अंदरखाने में कवायद शुरू हो गई है। दरअसल, राज्य की दो दर्जन से अधिक सीटों पर दमदार निर्दलीयों ने चुनावी ताल ठोकी थी। इसमें कई मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि भाजपा ने एक टीम को विचारधारा से जुड़े निर्दलीयों को साधने का जिम्मा सौंपा है। इसी तरह कांग्रेस भी अंदरखाते ऐसे नेताओं के साथ संपर्क में है। इस बार के चुनाव में भाजपा के 21 और कांग्रेस के नौ बागियों ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा है।

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भाजपा के दमदार बागियों में देहरा से मौजूदा विधायक होशियार सिंह, किन्नौर से पूर्व विधायक तेजवंत नेगी, नालागढ़ से पूर्व विधायक के एल ठाकुर, आनी से मौजूदा विधायक किशोरी लाल, नाचन से ज्ञान चंद, बिलासपुर सदर से सुभाष शर्मा, सुंदरनगर से अभिषेक ठाकुर, फतेहपुर से कृपाल परमार, चम्बा सदर से इंदिरा और मंडी सदर से प्रवीण शर्मा शामिल हैं। इसी तरह जसवां परागपुर से निर्दलीय संजय पराशर, ठियोग से इंदू वर्मा, बंजार से हितेश्वर ठाकुर, हमीरपुर सदर से आशीष शर्मा और बड़सर से संजीव कुमार भी भाजपा की विचारधारा से जुड़े हैं। इनके उतरने से इन हल्कों में मुकाबला त्रिकोणीय व बहुकोणीय बन गया है।

कांग्रेस के दमदार बागियों की बात करें, तो चौपाल से पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट, पच्छाद से पूर्व विधायक गंगू राम मुसाफिर, ठियोग से विजय पाल खाची, आनी से परस राम, सुलह से जगजीवन पाल, अर्की से राजेन्द्र ठाकुर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है। कुल मिलाकर निर्दलीय उतरे उम्मीदवारों का किसी न किसी बड़े दल से सियासी रिश्ता रहा है। इन्हीं रिश्तों को कड़ी बनाकर भाजपा और कांग्रेस इनसे सम्पर्क में रहने की कवायद कर रही है। राज्य में पिछले पांच बार के विधानसभा चुनाव परिणाम पर नज़र डालें को 2017 में दो निर्दलीय जीते थे। जबकि 2012 में पांच, 2007 में तीन, 2003 में छह निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 1998 में एक निर्दलीय विधानसभा पहुंचा था। उस चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस को पांच सीटों पर कामयाबी मिली थी।

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