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Bechu Veer Mela: यहां हर साल लगता है भूतों का मेला, डरावनी होती हैं रातें

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Bechu Veer Mela: मीरजापुर: बंगाल का जादू और बस्तर का जादू-टोना तो काफी मशहूर है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में एक ऐसी जगह है जहां भूत अंधेरे में तांडव करते हैं और मनरी बजाते हैं। हम बात कर रहे हैं बेचू वीर मेले की, जहां भूतों का मेला लगता है। साल में तीन दिन लगने वाले बेचूवीर मेले की रात एक डरावनी रात होती है, जो भूत-प्रेत भगाने के काम के लिए मशहूर है।

अब इसे अंधविश्वास कहें या आस्था, लेकिन लोगों का मानना है कि यहां आने से तथाकथित भूत, प्रेत और शैतान से मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं उन्हें गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है या जिनके संतान नहीं होती उन्हें भी संतान की प्राप्ति होती है। इस तीन दिवसीय मेले में बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चंदौली, बनारस, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, प्रयागराज समेत अन्य प्रांतों से लोग आते हैं.

साल में एक बार लगता है मेला

बेचू वीर बाबा की चौरी उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले के चुनार तहसील क्षेत्र के अंतर्गत अहरौरा से लगभग आठ किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण बरही गांव के जंगली इलाके में स्थित है। हर साल मेले में पूरे गांव में पांच लाख से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ती है। यहां वर्ष में एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर एकादशी की सुबह तक विशाल मेला लगता है। लोग यहां दूर-दूर से आते हैं और तीन दिनों तक रहकर पूजा आदि करते हैं। अंत में दशमी-एकादशी की सुबह बाबा की मनरी बजने के बाद पुजारी द्वारा फेंके गए चावल के कुछ दानों को प्रसाद के रूप में लेकर घर लौटते हैं।

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शिव के उपासक थे बेचू वीर

बेचू वीर मेले का काल लगभग चार सौ वर्ष पुराना माना जाता है। जब पूरा क्षेत्र जंगल था। यह क्षेत्र विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं तक फैला हुआ था। उस समय इस जंगल में खतरनाक जंगली जानवरों का निवास था। स्थानीय लोगों का कहना है कि बेचू वीर वर्षों पहले अपने परिवार के साथ यहां आकर बस गये थे। बेचू वीर भगवान शिव के परम भक्त थे। वह सदैव अपने प्रिय देवता की आराधना में लगा रहता था। एक बार बेचूबीर जंगल में ध्यान कर रहे थे, तभी एक शेर ने उन पर हमला कर दिया। तीन दिनों के युद्ध के बाद बेचूवीर ने अपना बलिदान दिया और बरही गांव में उनकी समाधि बनाई गई। इस स्थान पर हर वर्ष मेला लगता है।

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