Home उत्तर प्रदेश केसरीखेड़ा फ्लाईओवर का विवाद सुलझा, काम शुरू

केसरीखेड़ा फ्लाईओवर का विवाद सुलझा, काम शुरू

Kesarikheda Flyover: विजयनगर चौकी से पारा जाने वालों को अभी करीब दो साल जाम में पसीना बहाना पड़ सकता है। हालांकि, यदि कोई और दिक्कत नहीं आई तो इस अवधि के बाद तमाम मुश्किलें आसान हो जाएंगी। रेलवे और सेतु निगम का स्थानीय लोगों से विवाद भी सुलझ गया है और यहां फ्लाईओवर के लिए बीम स्ट्रैक्चर भी पहुंचने लगे हैं।

केसरीखेड़ा फाटक पर 24 घंटे में करीब 61 बार लोगों को रूकना पड़ता है। इतनी बार ट्रेनों को निकालने के लिए सिग्नल की प्रतीक्षा करनी होती है। हर राउंड में यहां सैकड़ों वाहनों की कतार लग जाती है। जब तक यहां से जाम हटवाया जाता है, अगली ट्रेन आ जाती है। हर 24 घंटे में कई ट्रेनों को यहां रोका भी जाता है। इससे मुसीबत और बढ़ जाती है। फाटक के अप और डाउन रूट पर अलग-अलग स्टेशन भी हैं। इनमें पर्याप्त जगह न होने से रेड सिग्नल कर दिया जाता है, जिससे ट्रेनों को आउटर पर ही रोक दिया जाता है। इसका दबाव पारा, हंसखेड़ा, अनौरा, प्यारेपुर, कलियाखेड़ा, सदरौना, पंडितखेड़ा, चकौली, कृष्णानगर, विजयनगर, अमौसी और ट्रांसपोर्ट नगर के लागों को झेलना पड़ रहा है।

देश के रक्षामंत्री एवं स्थानीय सांसद राजनाथ सिंह के कई प्रयासों से यहां फ्लाईओवर पास हुआ था, लेकिन रूट की अड़चन और स्थानीय स्तर पर विवाद की वजह से काम रूका रहा। कई बार इसकी डिजाइन और बजट का अड़ंगा रहा। लेआउट के अलावा दृश्यांकन को करीब एक साल से लटकाया जाता रहा। सबसे ज्यादा दिक्कत यहां दो इमारतों को लेकर थी। रेलवे और सेतु निगम की सहमति के बाद यह तय हुआ था कि डिजाइन को कर्व और टी आधारित कर दिया जाएगा, लेकिन इससे रेलवे से ज्यादा परेशानी सेतु निगम की बढ़ी।

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इसका कारण है कि कर्व में खर्च बढ़ जाएगा। दो इमारतें तोड़कर ही सेतु को सीधा बनाया जा सकता है। वर्तमान सहमति के अनुसार एक पक्ष ने अपना स्टे हटा दिया और दूसरे पर सेतु निगम ने कर्व पर सहमति दे दी है, इससे फ्लाईओवर बनने की अड़चन दूर हो गई। परियोजना का डीपीआर मिल चुका है। केसरीखेड़ा फ्लाईओवर के निर्माण की लागत 88 करोड़ रुपए है। यूपी राज्य सेतु निगम और पीडब्ल्यूडी ने भी अपना काम तेज कर दिया है। माना जा रहा है कि सेतु बनने से करीब आठ लाख लोगों को राहत मिल मिलेगी, साथ ही कृष्णानगर होते हुए लखनऊ-हरदोई और लखनऊ-मोहान मार्ग संपर्क मार्ग बन जाएंगे।

नगर निगम ने भी शुरू किया काम

सेतु निगम के पिलर बनाने के लिए लोहे के स्ट्रैक्चर यहां पहुंचने लगे हैं। बोरिंग पर काम चल रहा है। रूट डायवर्जन के लिए नहर मार्ग भी तैयार किया जा रहा है। इसके लिए नगर निगम ने इंटरलाकिंग और नहर की पट्टी को बेहतर मार्ग बनाने के लिए मशीनें दौड़ा दी हैं। जाम लगने से यहां करीब एक किमी तक वाहनों की कतार लग जाती है। अब इस मार्ग को वैकल्पिक के रूप में इस्तेमाल कर भीड़ कम की जाएगी।

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