Maha Kumbh: पतित पावनी गंगा, शस्य श्यामला यमुना और अंतः सलिला सरस्वती के पावन संगम तट पर एक बार फिर विश्व के सबसे बड़े हिन्दू समागम “महाकुंभ’’ के आयोजन की तैयारी अपने अंतिम चरण में है। यद्यपि अनादि काल से प्रत्येक वर्ष माघ मास में संगम की रेती पर यह आध्यात्मिक आयोजन होता आ रहा है, जिसमें हमारे पूज्य शंकराचार्य सहित हिन्दू धर्म के सभी पंथ, सम्प्रदाय से जुड़े साधु संत और श्रद्धालु पूरे माह उपस्थित रह कर स्नान ध्यान, भजन कीर्तन, यज्ञ, जप, तप, दान और नगर के देवालयों में विराजते देवी देवताओं के दर्शन कर अपने दैहिक दैविक और भैतिक कष्टों के निवारण की कामना करते हैं। सामान्य भाषा या आम बोलचाल में यह आयोजन ’’माघ मेला’’ के नाम से ही देश विदेश में विख्यात है, जिसके लिए किसी को भी आमंत्रण या निमत्रंण नहीं दिया जाता है। इस बार यह आयोजन 13 जनवरी से प्रारम्भ होकर 26 फरवरी तक चलेगा, जिसमें देश विदेश के साधु-संतों, श्रद्धालुओं के साथ ही बड़ी संख्या में पर्यटक भी शामिल होगें।
तीर्थराज प्रयाग में इस वर्ष माघ मास में आयोजित होने वाला धार्मिक आयोजन नियमित रूप से आयोजित होने वाले माघ मेले का वृहद स्वरुप है, जिसका अपना अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। धर्म ग्रंथों में इसे “महाकुंभ’’ का नाम दिया गया है। संगम तट पर महाकुंभ का आयोजन कब से प्रारम्भ हुआ है, यह तो अधिकृत रूप में कहीं भी उल्लिखित नहीं है, लेकिन इस आयोजन के धार्मिक महत्व से जुड़ी अनेक कथायें धर्मग्रंथों में उल्लिखित हैं, जिसमें सबसे लोकप्रिय कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है।
देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन के बाद निकले रत्नों को आपस में बांटने का निश्चय किया, लेकिन सबसे बहुमूल्य रत्न अमृत को लेकर विवाद हुआ तो भगवान विष्णु ने असुरों से अमृत को बचाने के लिए अमृत कलश अपने वाहक गरुड़ को देकर भेज दिया। असुरों ने उसे छीनने प्रयास किया जिसके कारण पृथ्वी पर चार स्थानों, प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन पर उसकी बूंदे छलक गईं। उसी समय से इन स्थानों को पावन मानते हुए धार्मिक आयोजन की परम्परा प्रारम्भ हुई। प्रयाग में यह आयोजन गंगा यमुना और विलुप्त सरस्वती के पावन संगम तट पर, नासिक में गोदावरी, हरिद्वार में गंगा और उज्जैन में शिप्रा तट पर प्रत्येक 12 वर्ष पर कुंभ के धार्मिक आयोजन की परम्परा चल रही है। गोस्वामी तुलसीदास ने अपने श्रीरामचरितमानस में माघ मास में तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी स्नान के महत्व का वर्णन करते हुए लिखा है कि
माघ मकरगत रवि जब होई। तीरथ पतिहिं आव सब कोई।।
देव दनुज किन्नर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिवेनीं।।
माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते है, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदर पूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते है। माघ मास में तीर्थराज प्रयाग आकर त्रिवेणी संगम स्नान का धर्म ग्रंथों में प्रतिपादित महत्व आज भी आम जनमानस के दिलों में ग्राह्य है, तभी तो हर वर्ष देश के कोने-कोने से करोड़ों श्रद्धालु माघ मास में सारी सुख सुविधाओं का परित्याग करके संगम की रेती पर बसी तंम्बुओं की नगरी में आबाद होकर एक अदृश्य पुण्य लाभ के लिए आस्था की डुबकी लगाकर तमाम धार्मिक आयोजनों के भागीदार बनते हैं। प्रयाग महाकुंभ में आने वाले पूज्य शंकराचार्यों, रामानुजाचार्यों, रंगरामानुजाचार्यों, शैव वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़े धर्माचार्यों, अखाड़ों के नागा सन्यासियों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों की मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ सुविधाओं की व्यवस्था का दायित्व प्रदेश के साथ ही केन्द्र सरकार पर होता है।
एक ओर जहां नियमित माघ मेले में आने वाले साधु-संतों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या 4 से 5 करोड़ के बीच होती है, कुंभ के अवसर पर यह संख्या कई गुना बढ जाती है। इस वर्ष आयोजित हो रहे महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 40 करोड़ अनुमानित है। आंकड़ों की बात करें तो 2011 में प्रयागराज की कुल आबादी लगभग 60 लाख थी, जो अब 70 लाख के आसपास होगी। ऐसे शहर में 40 करोड़ अतिथियों के लिए व्यवस्था करना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है, परन्तु प्रदेश में सत्तारुढ भाजपा सरकार नियोजित तरीके से व्यवस्थाओं को अंतिम रुप देने में जुटी है। मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठकों के साथ ही अब प्रधानमंत्री भी हजारों करोड़ की लागत से बन रही परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने जल्द ही प्रयागराज आने वाले हैं।
इस महाकुंभ के लिए प्रयागराज मेला प्रधिकरण,उ0प्र0 सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा जोरशोर से तैयारियां की जा रही हैं। प्रदेश की योगी सरकार ने 2019 में आयोजित कुंभ के लिए पहली बार “भव्य और दिव्य कुंभ’’ का नारा दिया था। पूरे विश्व ने पहली बार प्रयाग कुंभ की भव्यता और दिव्यता को वास्तविकता के धरातल पर देखा और महसूस किया था। अब सरकार महाकुंभ को उससे बेहतर आयोजित करने का प्रयास कर रही है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण द्वारा श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या के दृष्टिगत महाकुंभ का क्षेत्रफल और मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने का मैप तैयार किया गया है। महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद के अनुसार इस बार मेले का क्षेत्रफल 4,000 हेक्टेयर कर दिया गया है, जबकि 2019 के कुंभ में 3,200 हेक्टेयर था।
इसके अतिरिक्त 1,900 हेक्टेयर में छह पार्किंग बनाई जा रही है, जिसमें 5 लाख से ज्यादा वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए जनपद की सदर, फुलपुर, सोरांव और करछना तहसील के 72 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। संगम की रेती पर महाकुंभ नगर बसाने की तैयारी अंतिम चरण में है। महाकुंभ मेला का लेआउट तैयार कर लिया गया है, जिसके अनुसार इस बार मेला क्षेत्र को कुल 25 सेक्टरों में बसाया जायेगा। गंगा की धारा को देखते हुए बनाये गये प्लान के अनुसार सबसे ज्यादा 14 सेक्टर झूंसी क्षेत्र में, 3 सेक्टर अरैल क्षेत्र में तथा आठ सेक्टर परेड, संगम, शास्त्री पुल के नीचे, नागवासुकी मन्दिर के पास और सलोरी मुहल्ले के पास बनाये गये हैं। इन सभी सेक्टरों में प्रशासनिक कार्यालय बनाये जायेंगे, जिसकी व्यवस्था के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट, सेक्टर प्रबंधक, सहायक सेक्टर प्रबंधक की तैनाती की जा रही है।
सेक्टर मजिस्ट्रेट के पद पर एसडीएम स्तर के तथा प्रबंधक पद पर तहसीलदार व नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों के साथ ही पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात किये जाएंगे। नदियों के दोनो ओर बसाये गये महाकुंभ नगर में सुचारु आवागमन के लिए इस बार 30 पान्टुन पुल (पीपे के पुल) बनाये जा रहे है जबकि 2019 में यह संख्या 22 थी। श्रद्वालुओं के लिए इस बार गंगा यमुना और संगम पर 15 स्नान घाट बनाये जा रहे हैं, जिनकी कुल लम्बाई 12 किमी होगी, जबकि 2019 में यह मात्र 8 किमी थी। पहली बार गंगा और यमुना नदी के कुल 7 घाटों को पक्का किया जा रहा है।
इनमें गंगा नदी के दशाश्वमेध घाट, रसूलाबाद घाट और ज्ञानगंगा घाट झूंसी तथा यमुना नदी के किला घाट (वीआईपी घाट), नेहरू घाट (सरस्वती घाट), नौकायन घाट और महेवा घाट शामिल है। इसके अतिरिक्त वीआईपी घाट के सामने स्थित अरैल घाट का भी विस्तार और सौन्दर्यीकरण कराया जा रहा है। इन सभी घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए चेंजिंग रुम, सचल टायलेट, छतरी, हाई मास्ट, पेयजल सहित अन्य व्यवस्थायें की जा रही हैं। मेला प्रशासन की बैठक में मुख्य स्नान पर्वों पर आने वाली भीड़ के स्नान के लिए प्लान तैयार किया गया है, जिसके अनुसार कानपुर की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को संगम घाट पर, लखनऊ, अयोध्या, प्रतापगढ की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को नागवासुकी घाट और हरिश्चन्द्र घाट तथा वाराणसी, गोरखपुर आदि की ओर से झूंसी पंहुचने वाले श्रद्धालुओं को ऐरावत घाट की ओर स्नान के लिए भेजा जायेगा।
Maha Kumbh: चुस्त-दुरुस्त रहेगी परिवहन व्यवस्था
संगम जाने वाले अधिकांश श्रद्धालुओं को शहर के बीच से होकर जाना पड़ता है, जिसके कारण शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए पहली बार गंगा के किनारे तेलियरगंज के रसूलाबाद घाट से संगम क्षेत्र तक 15.25 किलोमीटर लम्बा रिवर फ्रंट या गंगा पथ भी बनाया जा रहा है। अब अयोध्या,लखनऊ की ओर से आने वाले श्रद्धालु इस पथ से बिना शहर में प्रवेश किये सीधे संगम पहुंच जायेंगे। इसके साथ ही महाकुंभ से जुड़ी अन्य परियोजनाओं में 40 से अधिक सड़कों और कई प्रमुख चौराहों का चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण किया जा रहा है।
शहर और शहर के बाहर रेलवे क्रासिंग पर 17 फ्लाई ओवर और रेलवे ओवर ब्रिज बन कर तैयार हो रहे हैं। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु और पर्यटकों की यात्रा को सुगम, सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए उप्र राज्य सड़क परिवहन, रेलवे और हवाई यातायात एथारिटी द्वारा व्यापक प्रबंध किये जा रहे हैं। प्रयागराज एयरपोर्ट पर एक नया टर्मिनल बन कर तैयार हो रहा है। इस विस्तारीकरण के बाद एयरपोर्ट पर अब सात बड़े और आठ छोटे विमानों की पार्किंग हो सकेगी।
पहले केवल 4सी टाइप विमानों की पार्किंग सुविधा थी। एयरपोर्ट निदेशक ने बताया कि महाकुंभ के दृष्टिगत चल रहे सभी कार्य 15 दिसम्बर तक पूरे हो जायेंगे। एयरपोर्ट से सीधे महाकुंभ मेले तक पहुंचने के लिए विश्व स्तरीय सड़क बनायी जा रही है। इस सड़क के दोनों ओर पर्याप्त मात्रा में पौधा रोपड़ के साथ कुंभ कलश व आकर्षक पेंटिंग की जायेगी, जिससे एयरपोर्ट से संगम तट पर आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को धर्म और आध्यात्म नगरी में होने का सुखद अहसास कराया जा सके। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के नौ रेलवे स्टेशनों से कुल 992 स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जायेगा।
आवश्यकता पड़ने पर यह संख्या और भी बढ़ायी जायेगी। उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंड़ल द्वारा एक टोल फ्री नम्बर 18004199139 लांच किया गया है, जिस पर देश के किसी स्थान से बात करके महाकुंभ से जुड़ी जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं। उप्र सड़क परिवहन निगम द्वारा श्रद्धालुओं के लिए 7,000 से अधिक कुंभ स्पेशल और 550 शटल बसें चलाये जाने की व्यवस्था की गयी है। निगम ने महाकुंभ को पर्व के अनुरुप तीन चरण में विभाजित किया है। पहला चरण 12 से 23 जनवरी तक होगा, जिसमें 3,050 स्पेशल बसें, दूसरा 24 जनवरी से 7 फरवरी तक चलेगा, जिसमें 7,000 स्पेशल बसें और तीसरा 8 से 27 फरवरी तक होगा, जिसमें 3,000 से अधिक बसें चलाये जाने की योजना तय की गई है। बसों के सुचारु संचालन के लिए मुख्यालय पर एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जायेगा, जिसके माध्यम से बसों के संचालन पर निगाह रहेगी।
Maha Kumbh को प्लास्टिक मुक्त व हरित कुंभ बनाने की तैयारी
महाकुंभ को प्लास्टिक मुक्त और हरित कुंभ के तौर पर प्रस्तुत करने का प्रयास चल रहा है। इसके लिए जहां महाकुंभ में पॉलिथीन को प्रतिबंधित किए जाने की तैयारी है, यहां तीन लाख पौधे भी लगाए जा रहे हैं। आयोजन के बाद इनकी देखभाल और संरक्षण का दायित्व सरकार संभालेगी। महाकुंभ को प्लास्टिक से मुक्त बनाने और विकल्प के तौर पर दोना पत्तल और कुल्हड़ को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके लिए अलग से जोन आवंटित किये जायेंगे, जहां पर्याप्त मात्रा में मिट्टी के बर्तन उपलब्ध होगें। इसके लिए सप्लाई चेन बनाई जा रही है, ताकि बाहर से इनकी आपूर्ति बनी रहे। मेला क्षेत्र में क्वाइन मशीन भी लगाई जायेंगी जहां 10 रुपये का सिक्का ड़ालकर एक बैग प्राप्त किया जा सकता है।
महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्वालुओं के बीच स्वच्छता का संदेश देने का प्रयास है। यही कारण है कि महाकुंभ में स्वच्छता का बजट 2019 की तुलना में चार गुना बढ़ा दिया गया है। नगर निगम की ओर से शासन को 16 करोड़ 36 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है। इस रकम से 3200 सफाईकर्मियों को 90 दिन तक संगम तट पर तैनात करके सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। प्रशासन की ओर से 1.5 लाख से ज्यादा टॉयलेट और यूरिनल बनाये जाने की तैयारी है। इसके लिए वेंडर्स का चयन भी कर लिया गया है।
प्रशासन का प्रयास होगा कि आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक किसी भी दशा में खुली जगह का उपयोग शौचालय या यूरिनल के रुप में न करें। उन्हें सामुदायिक शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। प्रशासन का मुख्य फोकस मौनी अमावस्या तथा अन्य प्रमुख स्नान पर्वों पर एक साथ आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं पर है, उन्हें दैनिक क्रियाओं के लिए कोई असुविधा न हो। कुंभ क्षेत्र में बड़ी संख्या में बनने वाले शौचालय और यूरिनल का उपयोग श्रद्धालु 24 घंटे कर सकेंगे। इनकी सफाई के लिए 9,800 स्वच्छता कर्मी तथा 1,800 सेनिटेशन स्वयंसेवक कार्य करेंगे।
Maha Kumbh: सुरक्षा-व्यवस्था होगी पुख्ता
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शुमार है। इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सात स्तरीय सुरक्षा का प्लान तैयार किया गया है। यह सुरक्षा मूल स्थान अर्थात जहां से यात्रा प्रारम्भ हो रही है, वहां से शुरू होकर मेले में अंतिम बिन्दु तक चाक चौबंद रहेगी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा-व्यवस्था में 37,611 पुलिसकर्मी तैनात किये जायेंगे, जिसमें निरीक्षक, उप निरीक्षक, प्रधान आरक्षी और आरक्षी शामिल हैं। मेला क्षेत्र को 10 जोन, 25 सेक्टर, 56 थाना और 155 पुलिस चौकी में विभाजित किया जाएगा।
महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 1,378 महिला पुलिसकर्मी तैनात रहेंगी। महाकुंभ में पुलिस श्रद्धालुओं की मदद के साथ विनम्रता का व्यवहार भी बनाये रखे, इसके लिए “सुरक्षा आपकी संकल्प हमारा’’ के ध्येय के साथ पुलिसकर्मियों को 21 दिन का प्रशिक्षण संगम तट पर दिया जा रहा है। नागरिक पुलिस के साथ 6,000 पीएसी के जवान भी लगाये जा रहे हैं, जो जल और थल दोनों जगह महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किये जायेंगे। महाकुंभ में आने वाली भीड़ को सुगमता से स्नान के बाद वापस भेजने के लिए क्राउड मैनेजमेंट के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई तकनीक) का भी प्रयोग किया जायेगा।
मेला क्षेत्र में आरएएफ, यूपी एटीएस, एसटीएफ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को भी लगाया जायेगा। विदेशों से भी बड़ी संख्या में आने वाले राष्ट्राध्यक्षों और पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिगत केंद्रीय एजेंसियां भी सक्रिय रहेंगी। इस बार सुरक्षा के लिए रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन सहित प्रमुख स्थलों और संगम क्षेत्र में विभिन्न घाटों और महत्वपूर्ण स्थानों पर 2,700 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे, जिनमें आधे से अधिक कैमरे एआई तकनीक से युक्त होंगे। पूरे मेला क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेंलिजेंस वाले सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन के अलावा मोबाइल टावर पर उच्च क्षमता वाले कैमरे लगाये जायेंगे, जिनसे पूरे मेला क्षेत्र की गहन निगरानी हो सकेगी।
पिछले कुंभ में मेला प्राधिकरण के कार्यालय में बने इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से इनको जोड़ा गया था, जहां से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही थी। इस बार कैमरों की संख्या और बढती भीड़ के दृष्टिगत झूंसी और अरैल में दो मिनी कमांड़ सेंटर भी बनाये जा रहे है। महाकुंभ मेला में पुलिस के सहायतार्थ यातायात पुलिस के 14 निरीक्षक, 60 उपनिरीक्षक, 100 प्रधान आरक्षी व 400 आरक्षी भी तैनात रहेंगे। मेला क्षेत्र में यातायात प्रबंधन पर विशेष जोर होगा, जिससे श्रद्धालुओं को कहीं असुविधा न हो। महाकुंभ को लेकर विद्युत विभाग की तैयारियां चल रही है। लगभग 375 करोड़ की लागत से शहर के साथ ही मेला क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था से जुड़े कार्य कराये जा रहे हैं, जिसमें अस्थायी कार्यों के साथ ही स्थायी कार्य भी शामिल हैं।
विद्युत विभाग की ओर से महाकुंभ मेला क्षेत्र में 170 सब स्टेशन तथा 100 किलोवाट के 100 ट्रांसफॉर्मर स्थापित किये जायेंगें, जहां से पूरे मेला क्षेत्र में बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जायेगी। मेला क्षेत्र के सभी मार्गों तथा प्रमुख स्थानों पर 67 हजार स्ट्रीट लाइट्स लगाई जायेंगी। इस बार मेला क्षेत्र में चौराहों और प्रमुख स्थानों पर सोलर से जलने वाले स्ट्रीट लाइट्स भी लगाये जाने की योजना है, ताकि यदि किसी कारण से बिजली की सप्लाई बंद हो जाए तो भी सोलर लाइट्स जलती रहेंगी। कुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं, साधु संतों, कल्पवासियों ओर संस्थाओं के शिविरों में भी साढ़े चार लाख कैम्प कनेक्शन की मांग का अनुमान है, जिसके लिए पूरे मेला क्षेत्र में 1700 किलोमीटर लंबी केबल बिछाई जायेगी, जिसमें 300 किलोमीटर एचटी लाइन और 1400 किलोमीटर एलटी लाइन होगी। महाकुंभ के दौरान 5 करोड़ यूनिट बिजली की खपत का अनुमान लगाया जा रहा है।
राजदूतों व उच्चायुक्तों को निमंत्रण पत्र
भारत में तैनात विभिन्न देशों के राजदूतों व उच्चायुक्तों को महाकुंभ में शामिल होने के लिए उप्र सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा निमंत्रित किया गया है। पर्यटन मंत्री ने मीडिया को बताया कि नेपाल, मारीशस, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मलेशिया, गुयाना, कनाडा, कंबोडिया, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनिदाद और टुबैगो, नीदरलैंड, फ्रांस, फिजी, सूरीनाम, यूनाईटेड किंगडम रियूनियन, सिंगापुर, यूएसए, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, केन्या, इटली, जमैका, सेशेल्स, स्पेन, यूक्रेन, यूथोपिया, जांबिया, मेडागास्कर, वेस्टइंडीज, बांग्लादेश, म्यांमार, जर्मनी और भूटान के राजदूतों व उच्चायुक्तों को पत्र भेजे गये हैं। निमंत्रण पत्र में भारत की सांस्कृतिक विरासत अध्यात्म व देवत्व की ओर ध्यान आकृष्ट करके महाकुंभ में भागीदार बनने के लिए अनुरोध किया गया है।
उन्होंने बताया कि राजदूतों एवं उच्चायुक्तों से यह भी आग्रह किया गया है कि वह अपने-अपने देश में सनातन संस्कृति में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं एवं नागरिकों को महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रेरित करें। यह कहा गया है कि महाकुंभ अध्यात्मिक समृद्धि को बढ़ाने तथा लोगों में आस्था के प्रति समर्पण, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करेगा। महाकुंभ की तैयारियों के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ का लोगो, वेबसाइट और ऐप जांच किया है। आकर्षक और बहुरंगी कलर के ’लोगो’ में कुंभ के प्रतीक ‘अमृत कलश‘ को दर्शाया गया है, जो समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। कलश पर ओम लिखा हुआ।
पीछे संगम का मनोहारी दृश्य है। संगम तट पर आसीन बड़े हनुमान जी, जिन्हें नगर कोतवाल कहा जाता है,उनकी तस्वीर और मंदिर चित्रित है। इस लोगो में दो साधुओं को भी अभिवादन की मुद्रा में दिखाया गया है, जो महाकुंभ की गहन श्रद्धा और धार्मिक महत्व को प्रकट करता है। मुख्यमंत्री द्वारा कुंभ की आधिकारिक वेबसाइट और ऐप भी लांच किये गये हैं, जिसमें कई ऐसे फीचर हैं, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को कुंभ मेले में आने, स्नान और रहने आदि में मदद करेंगे। मोबाइल एप और वेबसाइट लांच होने के बाद से ही अमेरिका से लेकर फ्रांस और ब्राजील से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक लोग महाकुंभ के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। यद्यपि महाकुंभ प्रारम्भ होने में अभी एक माह से ज्यादा का समय बाकी है, लेकिन इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने वालों की संख्या बढ़ रही है।
महाकुंभ मेले की तैयारियों की समीक्षा प्लानिंग कमेटी, प्रयागराज मेला प्राधिकरण, संबधित विभागों के साथ स्वयं मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय कर रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय महाकुंभ में चल रहे कार्यों पर नजर रख रहा है। इस संबंध में दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे कार्यों की समीक्षा बैठक में मेलाधिकारी विजय किरन आनंद से एक-एक कार्यों की प्रगति जानी गई। पीएमओ द्वारा 10 दिसम्बर तक कार्यों को पूरा कराने के निर्देश दिए गये हैं। इसी के बाद प्रधानमंत्री का कार्यक्रम भी दिसम्बर के दूसरे सप्ताह में निर्धारित हो रहा हैं। बताया गया है कि प्रधानमंत्री से महाकुंभ की 6,500 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकापर्ण कराने की तैयारी है, जिसमें रिंग रोड़, हनुमान मन्दिर कॉरिडोर, ऋषि भारद्वाज कॉरिडोर प्रमुख है।
स्नान पर्व की प्रमुख तिथियां
महाकुंभ 2025 का शुभारम्भ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा से होगा। इस स्नान के साथ ही अधिकांश साधु संत और श्रद्धालुओं का कल्पवास प्रारम्भ हो जायेगा। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व पर अखाड़ों का पहला राजसी स्नान होगा। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या है, जो महाकुंभ का मुख्य स्नान पर्व है। इस पर्व पर अखाड़ों का दूसरा राजसी स्नान होगा। देश-विदेश से आने वाले अधिकांश श्रद्धालुओं की इच्छा रहती है कि वह इस पावन पर्व पर संगम में स्नान करके पुण्य के भागीदार बने। 03 फरवरी को बसंत पंचमी पर्व का स्नान तथा अखाड़ों का तीसरा और अंतिम राजसी स्नान होगा। 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा का स्नान है।
इस पर्व पर स्नान के बाद अधिकांश कल्पवासी अपना कल्पवास व्रत पूर्ण करके अपने अपने घरों को लौटने लगते है। कुंभ का अंतिम स्नान पर्व 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पर्व पर होता है। इस स्नान पर्व के साथ महाकुंभ का औपचारिक समापन हो जायेगा। बता दें, 2019 के कुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 24 करोड़ के लगभग थी। इस बार महाकुंभ पर्व पर यह संख्या 40 करोड़ अनुमानित है, जिसमें 6 करोड़ से अधिक लोग तो केवल मौनी अमावस्या पर ही स्नान करेंगे। आंकड़ों के अनुसार मौनी अमावस्या पर विश्व के 41 देशों की पूरी आबादी से कहीं ज्यादा जनसंख्या प्रयागराज शहर से लेकर संगम की रेती पर बसे तंबुओं के नगर तक की हो जायेगी।
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देश के चार बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई समेत विश्व के जितने भी बड़े शहर हैं, उनसे कहीं बडी आबादी वाला कुंभनगर होगा। महाकुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों पर करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ संगम तट पर होगी, लेकिन उस भीड़ में कोई विशिष्ट अतिथि अपने प्रोटोकाल के साथ मेला क्षेत्र में भ्रमण करता नहीं दिखायी पड़ेगा। प्रशासन की ओर से कुंभ के 6 प्रमुख स्नान पर्वों पर आने वाली भीड़ की सुरक्षा और संभावित दुर्घटना आशंका को देखते हुए इन प्रमुख स्नान पर्वों पर विशिष्ट अतिथियों के मेला क्षेत्र में आने पर रोक लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
हरि मंगल
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