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बाबूलाल मरांडी ने परिवाद पर बोला हमला, कहा- बंटी और बबली हैं पति-पत्नी

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रांचीः भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष Babulal Marandi ने सोमवार को कहा कि परिवारवाद का मतलब है कि पार्टी की पहचान परिवार से है और पार्टी परिवार से चलती है। देश में कांग्रेस पार्टी की पहचान और संचालन गांधी परिवार से होता है। झारखंड में झामुमो की पहचान और संचालन शिबू सोरेन का परिवार करता है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की पहचान और संचालन लालू प्रसाद यादव का परिवार करता है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की पहचान और संचालन मुलायम सिंह यादव का परिवार करता है। इसे परिवारवाद कहते हैं। उन्होंने कहा कि जब कोई चुनाव लड़ता है तो कहीं न कहीं किसी का बेटा होता है, बहू होती है, पत्नी होती है, भाई होता है।

बीजेपी का केवल एक ही उद्देश्यः मरांडी

ऐसा हो सकता है लेकिन वे पार्टी नहीं चलाते। पार्टी कार्यकर्ताओं से चलती है। भारतीय जनता पार्टी में एक सिस्टम है। इसी सिस्टम के तहत पार्टी चलती है। इसे परिवारवाद कहना गलत है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय कुछ लोग नाराज हो जाते हैं। हम सभी से बात कर रहे हैं। मरांडी ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को पता है कि वे चुनाव बुरी तरह हार रहे हैं। इसलिए उन्होंने अभी से बहाने बनाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि भाजपा चुनाव आयोग से मिली हुई है। कोई सबूत तो दीजिए।

केवल ठगी जा रहा झारखंड के लोग

मरांडी ने कहा कि बंटी और बबली पति-पत्नी हैं। पांच साल तक इन दोनों ने झारखंड की जनता को ठगा है। उन्होंने कहा था कि एक साल में लोगों को 72 हजार रुपये देंगे। पांच साल हो गए, हेमंत सोरेन ने किसी गरीब को 72 हजार रुपये नहीं दिए। उन्होंने कहा था कि माताओं-बहनों को खाना बनाने के लिए 2 हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। पांच साल बीत गए, किसी को खाना बनाने का खर्च नहीं दिया गया।

याद दिलाया पुराना वादा

उन्होंने अपनी बेटियों से कहा था कि शादी में सोने का सिक्का देंगे। उन्होंने किसी लड़की को सोने का सिक्का नहीं दिया। उन्होंने बुजुर्गों और दिव्यांगों से कहा था कि 2500 रुपये प्रतिमाह पेंशन देंगे। उन्होंने किसी को नहीं दिया। उन्होंने युवाओं को पांच लाख नौकरी देने की बात कही थी। उन्होंने अपने पिता की कसम खाई थी। उन्होंने कहा था कि अगर पांच लाख नौकरी नहीं दी गई, तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे।

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जो व्यक्ति अपने पिता की कसम खाकर अपना वादा पूरा न करे, उस पर कौन भरोसा करेगा। विधानसभा में कहा था कि बीए पास को 5000 और एमए पास को 7000 भत्ता दिया जाएगा। एक भी काम पूरा नहीं हुआ। चुनाव आए तो नया हथकंडा अपनाया और अगस्त से महिलाओं को 1000 रुपये देने शुरू कर दिए। तीन महीने का समय दिया है। दिसंबर से 2500 रुपये देने की बात कही है। यह बंटी और बबली का खेल है।

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