लखनऊः यूपी STF ने राजधानी लखनऊ में एक फर्जी IPS अधिकारी को गिरफ्तार किया है। पकड़े गये आरोपी का असली नाम प्रतीक मिश्रा है, जो युवाओं को नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी करता था। करोड़ों की ठगी करने वाला प्रतीक अब तक 250 लोगों को अपना शिकार बना चुका है। जब उसने खुद को एक IPS अधिकारी के रूप में पेश किया, तो किसी को भी उस पर संदेह नहीं हुआ। बुधवार शाम को जब प्रतीक कुमार मिश्रा को उत्तर प्रदेश के लखनऊ के गोमती नगर से गिरफ्तार किया गया तो पता चला कि वह लंबे समय से नगर निगम, पुलिस विभाग आदि में नौकरी दिलाने का रैकेट चला रहा था।
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ठग प्रतीक के पास से ये सामान बरामद
उसे गिरफ्तार करने वाली स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उसके पास से दो मोबाइल फोन, एक फर्जी आईपीएस आईडी कार्ड, कांस्टेबल पद के लिए नियुक्ति पत्र और उत्तर प्रदेश भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड से संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं। एसटीएफ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह ने कहा कि मिश्रा ने नौकरी चाहने वालों को फंसाने के लिए वॉयस चेंजिंग सॉफ्टवेयर या वॉयस-ओवर-इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया। सिंह ने कहा कि प्रतीक ने पहली कोरोना लहर के दौरान कई लोगों को 1 करोड़ रुपये का चूना लगाया था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि उसके कुकृत्यों का पता लगाने के लिए मामले की और जांच की जा रही है।
ATS में नौकरी दिलाने के नाम पर करता था ठगी
एसटीएफ ने बताया कि दिसंबर 2021 में प्रतीक ने कुशीनगर के आदर्श राव को खुद को आईपीएस अधिकारी बता कर उसको आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) में स्पॉट टीम में भर्ती करवाने का झांसा दिया और एडवांस में 22 हजार रुपये ले लिए, लेकिन दोबारा उसने आदर्श से मुलाकात नहीं की। जबकि 102 एम्बुलेंस में नौकरी दिलाने के नाम पर प्रतीक ने 5 लड़कों से 60 हजार रुपये ऐंठ लिए थे। इसी तरह उसने विजय यादव को नगर निगम में नौकरी दिलाने के नाम पर 1.5 लाख, गोरखपुर केे चंद्रजीत से 1.5 लाख, विवेक कुमार से 3 लाख, संत कुमार से 3.5 लाख, मिराज से 1.5 लाख, नीतू सिंह से उसको, उसके भाई व पति को नौकरी दिलाने के नाम पर 6 लाख लिए थे।यूपी पुलिस में एसआई व कॉन्स्टेबल के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर सत्यम सिंह से 2.5 लाख रुपये की ठगी की थी।
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