Jammu and Kashmir Assembly Elections, नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर अब हलचल तेज हो गई है। हालांकि अभी तक के आंकलन पर चर्चा करें तो वहां पर मौजूद हालत में विधानसभा चुनाव कराना किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन भारतीय चुनाव आयोग विभिन्न शेड्यूलिंग विकल्पों पर विचार कर रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि पहले उत्तरी कश्मीर में चुनाव कराए जाएंगे। चुनाव आयोग के पास दूसरा विकल्प यह है कि चुनाव के शुरुआती चरणों में उत्तरी और दक्षिणी कश्मीर दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव कराए जाएं और फिर मध्य कश्मीर और जम्मू में चुनाव कराए जाएं।
कितने चरणों में हो सकते हैं चुनाव
अखबार इकनॉमिक टाइम्स से हमें प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक, पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर प्रशासन और सुरक्षा विभागों ने चुनाव आयोग को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में चरणों में चुनाव कराने के क्या विकल्प हो सकते हैं। उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर में 4-5 चरणों में चुनाव कराए जा सकते हैं। साल 2014 में जब जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव हुए थे, तब पांच चरणों में मतदान हुआ था। चुनाव आयोग प्रमुख राजीव कुमार की अगुआई में पूरा आयोग चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए 8 से 10 अगस्त तक श्रीनगर और जम्मू का दौरा कर चुका है।
सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती
जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में चुनाव कराने से पहले सुरक्षा को ध्यान में रखने सबसे जरूरी है। इसी को देखते हुए चुनाव आयोग इस सप्ताह के अंत में गृह मंत्रालय के साथ सुरक्षा समीक्षा करने के बाद जम्मू-कश्मीर चुनाव की तारीखों पर अंतिम फैसला ले सकता है। सभी राजनीतिक दल जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे थे। वहीं, सरकार भी पूरी तरह तैयार दिख रही थी, लेकिन हाल ही में हुए आतंकी हमलों ने चुनाव आयोग को चिंता में डाल दिया है। आयोग के मुताबिक, उत्तरी कश्मीर के जिलों में सुरक्षा स्थिति को देखते हुए पहले और दूसरे चरण में संवेदनशील इलाकों में चुनाव कराना बेहतर रहेगा। इन इलाकों में दक्षिण कश्मीर के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। उत्तरी कश्मीर में अनंतनाग, बारामुल्ला, बडगाम, बांदीपोरा, गंदेरबल, कुपवाड़ा, कुलगाम, पुलवामा, शोपियां और श्रीनगर जिले शामिल हैं। वहीं, दक्षिण कश्मीर में कठुआ, सांबा, रियासी, जम्मू, उधमपुर जैसे जिले
शामिल हैं। उत्तरी कश्मीर में पहले चुनाव
अक्टूबर से उत्तरी कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी की संभावना को देखते हुए वहां पहले चुनाव कराना उचित होगा। अधिकांश दलों ने प्रवासी गुज्जर और बकरवाल मतदाताओं की ओर चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित किया। दलों ने कहा कि उनके क्षेत्रों में चुनाव का समय चुनाव कैलेंडर के अंत में रखा जाना चाहिए ताकि वे मौसमी प्रवास के बाद मतदान करने के लिए घर लौट सकें। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा बलों की बड़ी तैनाती की मांग की है। बताया जाता है कि उन्होंने विशेष रूप से अनुरोध किया है कि चुनाव की घोषणा से कम से कम दो सप्ताह पहले पर्याप्त सुरक्षा बलों को लाया जाए ताकि क्षेत्र को नियंत्रित किया जा सके और बचाव अभियान चलाया जा सके।
आगे क्या होगा?
रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग इस सप्ताह के अंत तक केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ बैठक करेगा। इसमें सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी और फिर चुनाव आयोग द्वारा जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तारीखों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सितंबर तक यहां चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसके अलावा कई राजनीतिक दल जल्द से जल्द यहां चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
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सबसे संवेदनशील माने जाते हैं ये जिले
चुनाव आयोग के अनुसार, उत्तरी कश्मीर के जिलों में कई चुनौतियां हैं। यहां कई इलाकों को संवेदनशील माना जाता है। उत्तरी कश्मीर में अनंतनाग, बारामुल्ला, बडगाम, बांदीपोरा, गंदेरबल, कुपवाड़ा, कुलगाम, पुलवामा, शोपियां और श्रीनगर जिलों को संवेदनशील घोषित किया गया है, जबकि दक्षिणी कश्मीर में कठुआ, सांबा, रियासी, जम्मू, उधमपुर जैसे जिलों को संवेदनशील घोषित किया गया है।
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