Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ अमावस्या पर भूलकर भी न करें ये काम, लगेगा पितृ दोष

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Ashadha Amavasya 2024, वाराणसीः शुक्रवार को आषाढ़ अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में स्नान के बाद अपने पितरों के लिए तर्पण किया। तर्पण करने के बाद श्रद्धालुओं ने दान पुण्य कर श्री काशी विश्वनाथ दरबार में हाजिरी भी लगाई। अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण करने के लिए राजेंद्र प्रसाद घाट, मानसरोवर, अहिल्याबाई, दशाश्वमेध, मणिकर्णिका घाट पर दक्षिण भारत से श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।

पितृ तर्पण करने से पितरों का मिलता है आशीर्वाद

धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya 2024) तिथि पर पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने का विधान है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आषाढ़ मास की अमावस्या को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। मान्यता है कि शुभ कार्य करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।

दरअसल आषाढ़ अमावस्या के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में अमावस्या के दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। मान्यता है कि इन कार्यों को करने से व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है और पितर नाराज हो सकते हैं। जिससे पितृ दोष लगता है।

Ashadha Amavasya 2024: आज भूलकर भी न करें ये काम

अमावस्या के दिन झाड़ू नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। पशु-पक्षियों को न सताएं। घर में लड़ाई-झगड़ा न करें। बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। अमावस्या के दिन विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। किसी से गलत शब्द न बोलें और गुस्सा करने से बचें। ऐसा करने से पितृ दोष लग सकता है। इस दिन कौओं, चींटियों, कुत्तों और गायों को खाना खिलाना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।

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Ashadha Amavasya तर्पण विधि

  • पितरों के लिए तर्पण करने के लिए आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और फिर स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए।
  • यदि हो सके तो किसी नदी के किनारे अपने पितरों को जल अर्पित करें। अगर यह संभव वहीं है तो अपने घर की छत या बालकनी पर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें और हाथ में जल की कुछ बूंदें डालें।
  • इसके साथ ही सबसे पहले हाथ में फूल और अक्षत लेकर पितरों का आह्वान करें। फिर एक बर्तन में जल लेकर पितरों के लिए तर्पण करना शुरू करें। ॐ आगच्छन्तु मे पितृ एवं ग्रहन्तु जलांजलिम् मंत्र का जाप करते हुए पितरों के लिए तर्पण करें। तर्पण करते समय पितरों को अवश्य याद करें।
  • पितरों को अर्पित किए जाने वाले जल में कुश, काले तिल, फूल आदि मिलाना चाहिए। फिर तर्पण करने के बाद दाहिने हाथ से जमीन को छूकर आशीर्वाद लें, अगर नदी में तर्पण कर रहे हैं तो नदी को छूएं।
  • इस दिन पितरों के लिए भोजन, जल, वस्त्र आदि का दान अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना भी पुण्य का काम माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या पर किए गए दान से पितर प्रसन्न होते हैं, जिससे जीवन में समृद्धि भी आती है। अगर आप दान नहीं कर पाते हैं तो इस दिन कुत्ते या कौवे को कुछ जरूर खिलाएं।

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