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आशा वर्करों ने मांगा सरकारी कर्मचारी का दर्जा व 50 लाख का बीमा

हिसार: आशा वर्कर यूनियन की जिला अध्यक्ष सीमा देवी ने शुक्रवार को कहा कि आशा वर्करों की हालत इन दिनों बिना हथियार के सिपाही जैसी है। पूरे उपकरण व सुरक्षा किट न होने के कारण उन्हें खुद को संक्रमित होने का भय लगा रहता है। इस बारे में विभाग को अनेक बार अवगत करवाया गया, लेकिन मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके अलावा गांवों में सर्वे के लिए जो ड्यूटियां निर्धारित की गई है, वो भी स्पष्ट नहीं है। सर्वे में आंगनवाड़ी वर्करों की ड्यूटियां भी लगाई गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि विभागीय जानकारी के अभाव में आंगनवाड़ी वर्कर इसमें क्या मदद करेगी।

राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों पर घर-घर सर्वे में लगी आशा वर्कर कोरोना काल में जान हथेली पर रखकर ड्यूटी कर रही हैं। सरकार एवं विभाग को चाहिए कि सर्वे कार्य में लगी आशा वर्करों को पूरे उपकरण व किट उपलब्ध करवाएं जाएं ताकि वे निश्चित होकर डोर टू डोर सर्वे कर सकें। इसके अलावा प्रदेश सरकार एवं विभाग को चाहिए कि आशा वर्करों को कोरोना योद्धा मानकर उनका चिकित्सकों की तर्ज पर 50 लाख रुपये का बीमा करवाया जाए, किसी आशा वर्कर की कोरोना से मौत की हालत में उसके एक आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाए तथा आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

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जिला अध्यक्ष सीमा देवी ने कहा कि पिछले वर्ष आई महामारी के समय से ही आशा वर्कर कोविड-19 में काम कर रही है, अनेक आशा वर्कर संक्रमित हुई, कुछ की मौत भी हुई लेकिन सरकार एवं विभाग की तरफ से कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यदि कोई आशा वर्कर संक्रमित हो जाए तो उसके इलाज के पैसे भी विभाग नहीं दे रहा, बल्कि वह भी उन्हें खुद ही भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सभी आशा वर्कर इस महामारी के समय ड्यूटी करने को तैयार हैं लेकिन विभाग से सुरक्षा किट और संक्रमित होने की हालत में जोखिम भत्ता दिया जाए। इसके अलावा अन्य मांगों पर भी सरकार एवं विभाग को ध्यान देना चाहिए।