नई दिल्ली: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, इस बात को जोधपुर की आशा कंडारा ने सच साबित करके दिखाया है। उन्होंने सफाईकर्मी से आरएएस तक का सफर अपनी लगन और मेहनत के बूते तय किया है। आशा की कहानी कई महिलाओं के लिए एक मिसाल है।
आशा की शादी 1997 में हुई थी, उनका एक बेटा ऋषभ और एक बेटी पल्लवी है। शादी के पांच साल बाद घरेलू झगड़ों के चलते आशा का तलाक हो गया था। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने दोनों बच्चों की परवरिश के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखी।
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साल 2016 में आशा ने स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 2018 में आरएएस की परीक्षा और फिर सफाई कर्मचारी भर्ती परीक्षा का एग्जाम दिया, लेकिन उस समय आरएएस का रिजल्ट नहीं आया था। आरएएस एग्जाम के 12 दिन बाद ही आशा को सफाई कर्मचारी पद पर नियुक्ति मिल गई थी। जोधपुर के उत्तर नगर में बतौर सफाईकर्मी आशा ने दो साल तक सड़कों पर झाड़ू लगाई। उन्होंने शहर के पावटा की मुख्य सड़क पर सफाई के लिए बनाई गई सफाई गैंग में शामिल थी और पावटा की सड़कों पर झाडू लगाती थी।
बता दें कि पति से विवाद के बाद आशा ने दोनों बच्चों की कस्टडी अपने पास रख ली थी। अकेले अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारी निभाना थोड़ा मुश्किल जरूर था लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारीं और संघर्ष जारी रखा और उनकी मेहनत रंग लाई और आरएएस परीक्षा पास कर सफलता का परचम लहरा दिया।