Wednesday, December 18, 2024
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Homeराजस्थानआसाराम को फिर मिली पैरोल, दे रहा ये दुहाई

आसाराम को फिर मिली पैरोल, दे रहा ये दुहाई

जोधपुरः अपने ही आश्रम की नाबालिग लड़की से यौन शोषण के आरोप में जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम (Asaram) को लेकर बुधवार को रातानाडा थाना पुलिस फ्लाइट से पुणे के लिए रवाना हुई। आसाराम का इलाज पुणे के माधवबाग आयुर्वेदिक अस्पताल में होगा। इसके लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को तीसरी बार 17 दिन की पैरोल दी है। इसके लिए बुधवार को पुलिस सुरक्षा के साथ एंबुलेंस से आसाराम को एयरपोर्ट लाया गया। आसाराम के साथ पुलिसकर्मी रहेंगे। उसे किसी से मिलने की इजाजत नहीं होगी। राजस्थान हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर को आसाराम को 17 दिन की पैरोल दी थी।

Asaram को पहले भी दी गई थी पैरोल

इससे पहले 7 नवंबर को उसे जोधपुर के निजी आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज के लिए 30 दिन की पैरोल दी गई थी, जबकि उससे पहले अगस्त में उसे 7 दिन की पैरोल दी गई थी। तब भी वह पुणे गया था। पैरोल आदेश में हाईकोर्ट ने साफ किया कि पहले की तरह आसाराम को सुरक्षा और श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए नियमों का ध्यान रखना होगा। इसके साथ ही आसाराम को यात्रा और पुलिस सुरक्षा का सारा खर्च भी उठाना होगा, लेकिन इस बार कोर्ट ने राहत देते हुए कहा कि महाराष्ट्र जाने के लिए वह जोधपुर के निजी अस्पताल से सीधे पुणे एयरपोर्ट जाएगा। उसे जेल जाकर एयरपोर्ट नहीं जाना पड़ेगा।

सजा स्थगन पर फैसला जनवरी तक टला

इस बीच, गुजरात मामले में आसाराम की सजा स्थगन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला जनवरी तक टाल दिया है। आसाराम के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मेडिकल ग्राउंड और दोषसिद्धि के गुण-दोष के आधार पर मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपनी जांच याचिकाकर्ता की मेडिकल स्थिति तक ही सीमित रखी।

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बिगड़ती सेहत की दलील

आसाराम राजस्थान और गुजरात हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बिगड़ती सेहत की दलील दे रहा है। उसके वकीलों ने जोर देकर कहा कि उसे हिरासत में कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है और उसकी कमजोर हालत के कारण उसकी जान को खतरा है। आसाराम ने याचिका में कहा है कि जेल में बिताया गया हर दिन उसके स्वास्थ्य और गरिमा को नष्ट कर रहा है। उनका तर्क है कि वह पहले ही 11 वर्ष से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं और हो सकता है कि अपनी लंबित अपील की सुनवाई तक जीवित न रह पाएं।

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