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किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए लगेंगे कृषि स्टार्टअप किसान मेले, इस दिन से होगी शुरूआत

जयपुरः किसानों को कृषि की आधुनिक तकनीकों से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में कृषि स्टार्ट-अप किसान मेले का आयोजन किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर ये कृषि स्टार्टअप मेले जनवरी में कोटा से शुरू होंगे। बिरला ने बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और केंद्र व राज्य के कृषि विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

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संसद भवन परिसर में आयोजित बैठक में बिरला ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है। कोरोना महामारी जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने में किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। हम चाहते हैं कि किसान आगे बढ़े, किसान समृद्ध होगा तो देश भी समृद्धि की ओर आगे बढ़ेगा। इसके लिए आवश्यक है कि किसानों को कृषि की नई तकनीकों से जोड़ा जाए, ताकि वे कम संसाधनों में कम क्षेत्र में अधिक उपज प्राप्त कर सकें। इससे आप अपनी उपज का मूल्य जोड़कर उससे अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।

बिरला ने कहा कि कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। हाल ही में दिल्ली पूसा इंस्टीट्यूट में आयोजित मेले में आए कई स्टार्ट-अप्स के उत्पाद और सेवाएं प्रभावशाली रहीं। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि राजस्थान के किसान भी इन उत्पादों को देखें, समझें और इस्तेमाल करें। किसानों को इससे जोड़ने के लिए राजस्थान में कृषि स्टार्ट-अप मेले आयोजित किए जाएं।"

तोमर ने बिड़ला के विचार की सराहना करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय को अधिकारियों को इसके लिए तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह विचार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का है, इसलिए इसकी शुरुआत भी उनके संसदीय क्षेत्र कोटा से होनी चाहिए। आयोजन की तैयारियां इस तरह से की जाएं कि कृषि क्षेत्र में आने वाली नई तकनीक और शोध को किसानों को दिखाया और समझाया जा सके। बैठक में फसल बीमा योजना पर भी चर्चा हुई।

बिरला ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी किसानों को फसल बीमा का लाभ मिले। इसके लिए केंद्र व राज्य के अधिकारी मिलकर फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में आ रही विसंगतियों को दूर करें। बैठक में निर्णय लिया गया कि स्टार्टअप के साथ-साथ किसानों को कृषि-प्रसंस्करण के महत्व के बारे में भी बताया जाएगा। इसके साथ ही जैव-उर्वरक कंपनियों, बीज कंपनियों और कृषि क्षेत्र से जुड़ी अन्य कंपनियों को वहां लाया जाए, ताकि किसान उनसे सीधे संवाद कर सकें।

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