Tuesday, December 17, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeफीचर्डAssembly Elections 2022: पांच राज्यों के आए रूझानों के बाद राहुल- प्रियंका...

Assembly Elections 2022: पांच राज्यों के आए रूझानों के बाद राहुल- प्रियंका और कांग्रेस नेतृत्व पर उठने लगे सवाल

नई दिल्लीः यूपी समेत पांच राज्यों की मतगणना के आए रुझानों से पता चलता है कि भाजपा उन सभी चार राज्यों को फिर से हासिल करने के लिए तैयार है, जिस पर वह शासन कर रही थी जबकि कांग्रेस पंजाब को खोने के कगार पर है। अब सवाल उस नेतृत्व और टीम पर है, जो पर्दे के पीछे चाहे वह राहुल गांधी के लिए हो, या प्रियंका गांधी के लिए काम कर रही थी। राहुल गांधी की टीम के.सी. वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला और राज्य के प्रभारी उन राज्यों को नहीं बचा सके, जहां चुनाव हुए थे। उत्तराखंड में, जहां हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा थी, जो कांग्रेस दोहराने में नाकाम रही।

ये भी पढ़ें..Assembly Election Result: चार राज्यों में सत्ता में वापसी की ओर भाजपा, पंजाब में आप के झाडू ने सबको किया साफ

शुरूआत में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव गुटों को संभाल नहीं पाए और बाद में वरिष्ठ नेताओं को भेज दिया लेकिन इन सब में कीमती समय बर्बाद हो गया। ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी दो उप-पार्टियों में विभाजित हो गई थी, जो एक साथ काम करने को तैयार नहीं थे। गोवा में राज्य प्रभारियों की तिकड़ी- दिनेश गुंडू राव, गिरीश चोडनकर (राज्य अध्यक्ष) और दिगंबर कामत (पूर्व मुख्यमंत्री) ने लुइजि़न्हो फलेरियो जैसे राज्य के नेताओं की उपेक्षा की, जो तृणमूल में शामिल होने के लिए चले गए और फ्रांसिस्को सरडीन्हा जैसे नेता थे, उन्हें दरकिनार कर दिया गया और यहां तक कि पी. चिदंबरम, जो वरिष्ठ पर्यवेक्षक थे, सही उम्मीदवारों का चयन नहीं कर सके।

पंजाब में, राहुल और प्रियंका द्वारा किए गए ऑपरेशन ने वांछित परिणाम नहीं दिए और चरणजीत सिंह चन्नी को अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री बनाने में पार्टी द्वारा खेले गए अंतिम समय में जुआ अच्छा भुगतान नहीं किया और आम आदमी पार्टी शानदार जीत की ओर बढ़ रही है। अजय माकन और हरीश चौधरी ने इस अभियान के दौरान पार्टी सांसदों की अनदेखी कर पार्टी के हालात को और बिगाड़ दिया है, जिसका उल्टा असर होता दिख रहा है।

इसी तरह, अलंकार सवाई, के. राजू, बायजू और कौशल विद्यार्थी सहित राहुल गांधी की टीम राजनीतिक सलाहकारों के साथ लगातार चुनावों में विफल रही है। पुराने समय की अनदेखी की गई है। इसी तरह प्रियंका गांधी वाड्रा का संदीप सिंह, अजय कुमार लल्लू और मोना मिश्रा पर भरोसा करने में विफल रहा है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें