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आखिर क्यों भगवान शिव को अतिप्रिय है भस्म, जानें इसके पीछे का रहस्य

bhagwan shiv

नई दिल्लीः श्रावण मास भगवान शिव को अतिप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव सावन माह में धरती पर भ्रमण करते है। इसीलिए इस माह भक्ति भाव से भगवान शिव की आराधना करने वह जल्द ही प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्त के सभी कष्टों को दूर करते है। इस माह भगवान शिव की भस्म आरती भी की जाती है।

भगवान शिव को भस्म बहुत ही प्रिय है। इसके पीछे कई मान्यताएं लोक प्रचलित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरीर नश्वर है और एक दिन सभी के शरीर को भस्म की तरह राख बन जाना है। इंसान सभी तरह की मोहमाया और शारीरिक आकर्षण से ऊपर उठकर ही मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। जीवन के इस यथार्थ सत्य का भगवान शिव सम्मान करते हैं और शव को यह सम्मान देने के लिए वह उसकी भस्म को खुद पर धारण करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव मृत्यु के स्वामी हैं और शव से ही शिव नाम की उत्पत्ति हुई है।

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इसलिए भी शिव को अतिप्रिय है भस्म धार्मिक कथाओं के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति ने अपने राज्य में यज्ञ करा रहे है। इस यज्ञ में उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव और पुत्री सती को निमंत्रण नहीं दिया। इसके बावजूद भी माता सती अपने पिता के घर पहुंची जहां महाराज दक्ष ने भगवान शिव को बेहद अपमान किया। अपमान सहन न कर पाने पर क्रोध में आकर माता सती ने खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया। इस घटना से आहत भगवान शिव माता सती के शव को लेकर ताडंव करने लगे। भगवान विष्णु से भगवान शिव का दुख देखा न गया और उन्होंने माता सती के शव को छूकर भस्म में बदल दिया। अपने हाथों में माता सती के भस्म को देख भगवान शिव और भी ज्यादा दुखी हो गये क्योंकि वह स्वयं को माता सती से अलग नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने माता सती की भस्म को अपने शरीर पर धारण कर लिया। इसीलिए भगवान शिव को भस्म अतिप्रिय है।