काबुलः संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और इसे अमानवीय बताया। मौजूदा हालात को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान को लड़कियों की उम्मीदों का कब्रिस्तान बताया है।
अधिकारों पर डाला प्रकाश
15 अगस्त, 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद, लड़कियों की शिक्षा को छठी कक्षा से आगे प्रतिबंधित कर दिया और बाद में उनके लिए विश्वविद्यालयों के दरवाजे बंद कर दिए। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आलोचना की परवाह किए बिना तालिबान ने अपना प्रतिबंध जारी रखा है। प्रतिबंधों के बावजूद शिक्षा के अधिकार के लिए लड़कियों के संघर्ष का समर्थन करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महिला प्रभाग ने गुरुवार को आईसीटी में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर शैक्षिक प्रतिबंधों के सामने अफगान लड़कियों के अधिकारों पर प्रकाश डाला।
इस बार और अधिक सख्त प्रतिबंध
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी विभाग (आईसीटी) में हर साल अप्रैल के चौथे गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। ढाई साल से अधिक समय के बाद भी तालिबान ने लड़कियों के लिए स्कूल दोबारा खोलने को लेकर कोई सार्थक बयान नहीं दिया है। अगर यही स्थिति जारी रही तो अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहरा जाएगा।
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दुनिया इस बात की गवाह है कि 1990 के दशक में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं। महिलाओं को हाशिए पर रखा गया। यही कारण था कि इस बार जब तालिबान वापस लौटे तो उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और जिम्मेदारियों की दुहाई दी, लेकिन सत्ता में लौटने के बाद फिर वही हश्र देखने को मिला। इस बार जो पाबंदियां महिलाओं पर लगाई गई हैं। वे और भी सख्त थे। महिलाओं के पहनावे पर सेंसरशिप से लेकर होटल और रेस्तरां सहित सार्वजनिक स्थानों पर खाना खाने, स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने तक सख्त प्रतिबंध लगाए गए।